उत्तराखंड में नया भू-कानून: अब बाहरी लोग नहीं खरीद सकेंगे जमीन, जानें नए सख्त नियम
"उत्तराखंड में नया भू-कानून: बाहरी व्यक्तियों के लिए भूमि खरीद पर सख्त नियम, स्थानीय निवासियों के अधिकारों और पर्यावरण संरक्षण पर विशेष ध्यान"
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देहरादून । उत्तराखंड सरकार ने राज्य में भूमि खरीद से जुड़े नियमों को सख्त बनाने के लिए नया भू-कानून लागू किया है। इस नए कानून के तहत बाहरी व्यक्तियों द्वारा कृषि और बागवानी भूमि खरीदने पर कड़े प्रतिबंध लगाए गए हैं। सरकार का उद्देश्य राज्य की प्राकृतिक संपदा, सांस्कृतिक धरोहर और स्थानीय निवासियों के भूमि अधिकारों की रक्षा करना है।
नए भू-कानून के प्रमुख प्रावधान– बाहरी व्यक्तियों के लिए भूमि खरीद पर प्रतिबंध
उत्तराखंड के 13 जिलों में से 11 जिलों में बाहरी लोगों के लिए कृषि और बागवानी भूमि की खरीद पर रोक लगा दी गई है। केवल हरिद्वार और उधम सिंह नगर को इस नियम से छूट दी गई है। इस प्रावधान का मुख्य उद्देश्य पहाड़ी क्षेत्रों में भूमि खरीद की अनियंत्रित प्रवृत्ति को रोकना और स्थानीय निवासियों को उनकी जमीन बचाने में मदद करना है।
बड़े भूखंडों की खरीद पर नियंत्रण
कोई भी व्यक्ति अब 12.5 एकड़ से अधिक भूमि नहीं खरीद सकता। यदि किसी को इससे अधिक भूमि की आवश्यकता है, तो उसे राज्य सरकार से विशेष अनुमति लेनी होगी।
जिलाधिकारियों के भूमि स्वीकृति अधिकार समाप्त
पहले जिलाधिकारी बाहरी व्यक्तियों को भूमि खरीदने की विशेष अनुमति दे सकते थे, लेकिन अब यह अधिकार पूरी तरह से राज्य सरकार के पास रहेगा।
इसके अलावा, अब सरकारी पोर्टल के माध्यम से ही भूमि खरीद की पूरी प्रक्रिया को पूरा किया जाएगा, जिससे इसमें पारदर्शिता बनी रहेगी और भ्रष्टाचार पर रोक लगेगी।
भूमि उपयोग के सख्त नियम
खरीदी गई भूमि का उपयोग केवल निर्धारित भू-उपयोग के अनुसार ही किया जा सकेगा। यदि कोई व्यक्ति नियमों के खिलाफ भूमि का उपयोग करता है, तो सरकार उसे जब्त कर सकती है।
भूमि खरीद के लिए शपथ पत्र अनिवार्य
राज्य से बाहर के व्यक्तियों को भूमि खरीदने के लिए शपथ पत्र देना होगा। इससे फर्जी दस्तावेजों और धोखाधड़ी पर रोक लगेगी और अनियमितताओं को खत्म किया जा सकेगा।
स्थानीय लोगों के भूमि अधिकारों की सुरक्षा
नए कानून का एक प्रमुख उद्देश्य स्थानीय निवासियों की भूमि को बाहरी लोगों द्वारा खरीदे जाने से बचाना है। राज्य सरकार का मानना है कि यह कानून स्थानीय जनता की सुरक्षा करेगा और अतिक्रमण व जबरन भूमि कब्जे को रोकेगा।
अवैध भूमि कब्जे और व्यावसायिक उपयोग पर निगरानी
सरकार ने यह स्पष्ट किया है कि अवैध रूप से भूमि खरीदने या उसे व्यावसायिक उद्देश्यों के लिए उपयोग करने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।
नियमों के उल्लंघन पर भारी जुर्माना और कानूनी सजा का प्रावधान भी किया गया है।
क्यों जरूरी था नया भू-कानून?
पिछले कुछ वर्षों में बाहरी व्यक्तियों द्वारा उत्तराखंड में बड़े पैमाने पर भूमि खरीदने की घटनाएं बढ़ रही थीं। यह देखा गया कि निवेशक पर्यटन, होटल और वाणिज्यिक उद्देश्यों के लिए जमीन खरीद रहे थे, जिससे स्थानीय लोगों को भूमि की कमी का सामना करना पड़ रहा था।
इसके अलावा, पर्यावरण संतुलन भी प्रभावित हो रहा था, क्योंकि पहाड़ी क्षेत्रों में अंधाधुंध भूमि खरीद के कारण निर्माण कार्य बढ़ रहे थे और संसाधनों पर दबाव पड़ रहा था। इस कानून के लागू होने से स्थानीय लोगों को अपनी भूमि सुरक्षित रखने और राज्य की प्राकृतिक संपदा को संरक्षित करने में मदद मिलेगी।
क्या बदलेगी उत्तराखंड की भूमि नीति?
यह कानून उत्तराखंड में भूमि खरीद के नियमों में एक बड़ा बदलाव लेकर आया है। अब बाहरी लोगों के लिए राज्य में कृषि भूमि खरीदना बेहद कठिन हो जाएगा, जिससे स्थानीय निवासियों को लाभ मिलेगा और अवैध भूमि कब्जे को रोका जा सकेगा।
राज्य सरकार का मानना है कि इस नए भू-कानून से उत्तराखंड की पारिस्थितिकीय संतुलन को बनाए रखने में मदद मिलेगी और यह स्थानीय किसानों व निवासियों के हक की सुरक्षा करेगा।
उत्तराखंड सरकार का नया भू-कानून स्थानीय नागरिकों के हितों की रक्षा करने के साथ-साथ राज्य की पारिस्थितिकी और सांस्कृतिक धरोहर को संरक्षित करने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है। इससे न केवल बाहरी लोगों द्वारा अनियंत्रित भूमि खरीद पर रोक लगेगी, बल्कि यह राज्य के प्राकृतिक संसाधनों की सुरक्षा में भी सहायक होगा।