आयुष त्रिपाठी / रक्सौल, बिहार: छठ पूजा, जो विशेष रूप से बिहार, उत्तर प्रदेश, झारखंड और नेपाल के तराई क्षेत्रों में बड़े धूमधाम से मनाई जाती है, इस साल भी धार्मिक और सांस्कृतिक धारा में गहरी जड़ें पकड़ चुकी है। चार दिवसीय इस महापर्व के दौरान, श्रद्धालु सूर्य देव और उनकी उपास्य देवी, छठी माई को समर्पित अर्चना करते हैं। व्रति न सिर्फ शारीरिक तपस्या करते हैं, बल्कि यह पर्व पर्यावरण और प्राकृतिक संसाधनों के महत्व को भी उजागर करता है।
प्रकृति से जुड़ा यह पर्व भारतीय संस्कृति की समृद्धि और परिवार के रिश्तों को और मजबूत बनाता है। खासकर, इस दिन व्रति नदी या तालाब के किनारे सूर्यास्त और सूर्योदय के समय उबटन, अर्घ्य और पूजा करते हैं। यह पूजा न केवल आध्यात्मिक सफाई का माध्यम है, बल्कि यह समाज में भाईचारे और आपसी प्रेम को भी बढ़ावा देती है।
छठ पूजा का यह विशेष महत्व एक नई पीढ़ी में प्राकृतिक संरक्षण और पारंपरिक मूल्यों के प्रति जागरूकता पैदा करता है।