तनुजा ज्याला: मां से सीखी कला को बनाया स्वरोजगार का माध्यम
"मां से सीखी ऐपण कला बनी स्वरोजगार का जरिया, डिजिटल प्लेटफॉर्म से कमा रही अच्छी आमदनी"

देहरादून । उत्तराखंड की बेटियां अब हर क्षेत्र में अपनी प्रतिभा का लोहा मनवा रही हैं। विज्ञान, खेल, शिक्षा और कला—हर क्षेत्र में अपनी पहचान बना रही हैं। ऐसी ही एक प्रतिभाशाली बेटी हैं तनुजा ज्याला, जो उत्तराखंड की पारंपरिक ऐपण कला को नया आयाम देने में जुटी हैं।
ऐपण कला: उत्तराखंड की पारंपरिक पहचान
ऐपण कला उत्तराखंड की पारंपरिक लोककला में से एक है, जिसका धार्मिक, सांस्कृतिक और सामाजिक महत्व है। यह कला सदियों से मंदिरों, घरों के आंगन, देहरी, कलश और धार्मिक अनुष्ठानों में प्रयोग की जाती रही है। इस कला को आमतौर पर गेरू और चावल के घोल से बनाया जाता है और इसमें देवी-देवताओं, पौराणिक कथाओं, और शुभ प्रतीकों को चित्रित किया जाता है।
तनुजा ज्याला, खटीमा (उत्तराखंड) की रहने वाली हैं। उन्होंने अपनी स्कूली शिक्षा पुष्पा प्रियंका सरस्वती विद्या मंदिर, नानकमत्ता से पूरी की। बचपन से ही उन्हें ऐपण कला में रुचि थी, और उन्होंने इसकी बारीकियां अपनी मां से सीखीं। घर की देहली पर ऐपण बनाने से शुरू हुआ उनका यह सफर अब एक सफल व्यवसाय में बदल चुका है।
2022 से शुरू किया ऐपण को व्यवसाय बनाने का सफर
वर्ष 2022 में तनुजा ने ऐपण को सिर्फ एक कला के रूप में नहीं, बल्कि स्वरोजगार का जरिया बनाने का निर्णय लिया। उन्होंने इस कला को डिजिटल माध्यम से आगे बढ़ाने के लिए इंस्टाग्राम और यूट्यूब जैसे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स का सहारा लिया।
डिजिटल माध्यम से पहुंचा रहीं अपनी कला को देशभर में
तनुजा ने अपनी कला को घर तक सीमित न रखते हुए, इंस्टाग्राम (@aipan_by_tanuja) और अन्य डिजिटल प्लेटफॉर्म्स पर प्रमोट करना शुरू किया। इससे उन्हें उत्तराखंड ही नहीं, बल्कि अन्य राज्यों से भी ऑर्डर मिलने लगे।
आज उनके बनाए ऐपण डिजाइनों को हैंडमेड गिफ्ट आइटम, दीवारों की सजावट, पूजा सामग्री और विभिन्न उत्पादों में इस्तेमाल किया जा रहा है। उनके इस प्रयास से उत्तराखंड की यह पारंपरिक कला न केवल पुनर्जीवित हो रही है, बल्कि इसे एक व्यवसायिक पहचान भी मिल रही है।

स्वरोजगार का सशक्त माध्यम बनी ऐपण कला
जहां पहले ऐपण कला सिर्फ धार्मिक अनुष्ठानों तक सीमित थी, वहीं अब यह स्वरोजगार और पर्यटन-हैंडीक्राफ्ट उद्योग का एक महत्वपूर्ण हिस्सा बन रही है। तनुजा जैसी युवतियां इस कला को आगे बढ़ाकर न केवल अपनी आजीविका कमा रही हैं, बल्कि उत्तराखंड की समृद्ध सांस्कृतिक धरोहर को भी सहेजने का काम कर रही हैं।
अगर आप भी खरीदना चाहते हैं तनुजा की ऐपण कलाकृतियां
अगर आप भी पारंपरिक ऐपण कला से सजे सुंदर उत्पाद खरीदना चाहते हैं, तो आप इंस्टाग्राम (@aipan_by_tanuja) पर फॉलो कर सकते हैं और उनकी कला को समर्थन दे सकते हैं।
उत्तराखंड की पारंपरिक कला को बढ़ावा दें, लोककला को जीवंत रखें