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UTTARAKHAND

धार्मिक आस्था में बसा संगीत का सुर — शिवमणि की प्रस्तुति ने बद्रीनाथ धाम में रच दिया भावनाओं का अनूठा संगम

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By Aashish Tripathi | Doon Khabar

बद्रीनाथ धाम की पवित्र वादियों में जब अंतरराष्ट्रीय ख्यातिप्राप्त तालवादक शिवमणि ने अपने ड्रम की थापें बिखेरीं, तो मानो प्रकृति, भक्ति और संगीत एक ही लय में झूम उठे। श्रद्धालु जहां प्रभु के दर्शन के लिए आए थे, वहीं शिवमणि के संगीत ने उन्हें अध्यात्म की एक नई ऊंचाई का अनुभव कराया।

डमरू की तरह बजते उनके ड्रम्स ने ना सिर्फ माहौल को ऊर्जावान बनाया, बल्कि यह भी सिद्ध किया कि संगीत की भाषा सार्वभौमिक होती है — जो सीधे आत्मा से संवाद करती है। उनकी प्रस्तुति को देख श्रद्धालुओं की आंखों में जहां भक्ति का भाव था, वहीं मुस्कान में अपार ऊर्जा भी झलक रही थी।

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शिवमणि ने न सिर्फ ड्रम बजाया, बल्कि देवभूमि की सांस्कृतिक गरिमा को भी अंतरराष्ट्रीय मंच पर पुनः स्थापित किया। उत्तराखंड सरकार, मंदिर समिति और स्थानीय प्रशासन की व्यवस्थाओं की उन्होंने सराहना करते हुए इस अनुभव को “आध्यात्मिक यात्रा का सर्वोच्च पड़ाव” बताया।

“जहां सुर और श्रद्धा मिलते हैं, वहीं से अध्यात्म शुरू होता है।”

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