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नैनीताल पर मंडरा रहा बड़ा खतरा: विशेषज्ञों ने दी आपदा की चेतावनी

"अवैध निर्माण और पर्यटन दबाव से बढ़ा भू-संरचनात्मक संकट"

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नैनीताल । उत्तराखंड की सरोवर नगरी नैनीताल, जो अपनी प्राकृतिक सुंदरता और शांत झीलों के लिए प्रसिद्ध है, आज गंभीर भूगर्भीय संकट का सामना कर रही है। शहर की बढ़ती जनसंख्या, अवैध निर्माण और पर्यटकों के दबाव ने नैनीताल की नाजुक भू-संरचना को खतरे में डाल दिया है। विशेषज्ञों का मानना है कि यदि समय रहते ठोस कदम नहीं उठाए गए, तो यह खूबसूरत पहाड़ी शहर कभी भी एक बड़ी आपदा का शिकार हो सकता है।

नैनीताल भूगर्भीय दृष्टि से अत्यंत संवेदनशील क्षेत्र है। यहां की चट्टानें विशेषकर शेर का डांडा, ठंडी सड़क, स्नो व्यू और नयनापीक जैसे इलाकों में स्लेडस रॉक से बनी हैं, जो अत्यंत कमजोर होती हैं। डीएसबी कॉलेज नैनीताल के भूगर्भ वैज्ञानिक डॉ. संतोष जोशी के अनुसार, पिछले 10-15 वर्षों में जनसंख्या में भारी इजाफा हुआ है और इसके साथ ही शहर में अवैज्ञानिक और अनियोजित निर्माण ने इन चट्टानों पर अत्यधिक दबाव डाला है, जिससे भूस्खलन की घटनाएं आम हो गई हैं।

नैनीताल सिस्मिक जोन-5 में आता है, जो कि भूकंप की दृष्टि से सबसे खतरनाक क्षेत्र है। किसी भी समय यहां तेज भूकंप आ सकता है। नगर की नींव कही जाने वाले बलिया नाले का उपचार फिलहाल चल रहा है, जबकि निहाल नाले में लगातार भू-कटाव हो रहा है। ये दोनों नाले शहर की स्थिरता के लिए महत्वपूर्ण हैं। यदि इनकी मरम्मत और संरक्षण समय पर नहीं हुई, तो शहर की स्थिरता पर गंभीर असर पड़ सकता है।

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विशेषज्ञों ने चेतावनी दी है कि यदि समय रहते इस समस्या को नजरअंदाज किया गया, तो भविष्य में नैनीताल की सुंदरता और अस्तित्व दोनों ही खतरे में पड़ सकते हैं।

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Nikesh Andola

निकेश अंडोला, कुमाऊं (नैनीताल) के वरिष्ठ पत्रकार हैं और दून खबर के संस्थापक सदस्यों में से एक हैं। वह दून खबर के कुमाऊं प्रमुख के रूप में कार्यरत हैं। उन्होंने अपना स्नातक पत्रकारिता और जनसंचार में हेमवती नंदन बहुगुणा गढ़वाल विश्वविद्यालय से प्राप्त की है। पत्रकारिता में पांच वर्षों के अनुभव के साथ, निकेश ने इस क्षेत्र में अपनी एक मजबूत पहचान बनाई है।

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