देहरादून, उत्तराखंड: उत्तराखंड, जिसे धार्मिक रूप से “देवभूमि” कहा जाता है, में वक्फ बोर्ड संपत्तियों की संख्या 5,000 से अधिक हो गई है। यह संपत्तियां मस्जिदों, मदरसों, कब्रिस्तानों और अन्य धार्मिक स्थलों के रूप में दर्ज हैं। विशेष रूप से हरिद्वार, देहरादून और उधम सिंह नगर जैसे शहरी क्षेत्रों में मस्जिदों और अन्य संरचनाओं में बढ़ोतरी दर्ज की गई है। हिल स्टेशनों में भी कब्रिस्तानों की संख्या में वृद्धि देखी गई है।
इसके साथ ही, सरकारी जमीनों पर अवैध कब्जों और बिना पंजीकरण के धार्मिक ढांचों के निर्माण की भी रिपोर्टें सामने आई हैं। आलोचकों का कहना है कि इन बदलावों से राज्य के जनसांख्यिकीय और सांस्कृतिक स्वरूप पर प्रभाव पड़ सकता है।
वक्फ अधिनियम में संशोधन प्रस्ताव
इस मुद्दे के समाधान के लिए केंद्र सरकार ने वक्फ (संशोधन) विधेयक 2024 का प्रस्ताव रखा है। इसमें वक्फ संपत्तियों के दावों की अनिवार्य जांच और पारदर्शिता बढ़ाने के लिए नए प्रावधान जोड़े गए हैं। उत्तराखंड वक्फ बोर्ड ने इस विधेयक का समर्थन करते हुए विवादित संपत्तियों के मामलों में सीबीआई जांच की मांग भी की है।
यह मामला राज्य में सामाजिक और राजनीतिक बहस का केंद्र बना हुआ है।