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वन संरक्षण निधि का दुरुपयोग आइफोन, लैपटॉप और सजावट पर खर्च का खुलासा: कैग रिपोर्ट

"धन के लुटेरों ने जंगल को भी नहीं छोड़ा"

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देहरादून । उत्तराखंड विधानसभा के बजट सत्र से दौरान सदन में सीएजी (कैग) की रिपोर्ट पेश की गई। इस रिपोर्ट में बड़े पैमाने पर वित्तीय अनियमितताओं का खुलासा हुआ है। रिपोर्ट में बजट की भारी गड़बड़ी सामने आई है, जिसमें करोड़ों रुपये का दुरुपयोग और गलत तरीके से रकम को खर्च करने के मामले सामने आए हैं। इस रिपोर्ट में वन संरक्षण के लिए खर्च किए गए फंड में गड़बड़ी देखने को मिल रही है। रिपोर्ट के अनुसार, वन विभाग द्वारा वन संरक्षण के लिए निर्धारित फंड का इस्तेमाल लैपटॉप, टैबलेट, आईफोन, फ्रीज और ऑफिस के लिए सजावट के सामान खरीदने में किया गया। यह रकम करोड़ों रुपये में थी, जो इस उद्देश्य के लिए निश्चित रूप से अनुचित तरीके से खर्च की गई। भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) की हालिया रिपोर्ट में उत्तराखंड के वन विभाग में वित्तीय अनियमितताओं का गंभीर खुलासा हुआ है। रिपोर्ट के अनुसार, प्रतिपूरक वनीकरण निधि प्रबंधन और योजना प्राधिकरण (CAMPA) के तहत आवंटित धनराशि का उपयोग वन संरक्षण के बजाय आईफोन, लैपटॉप, फ्रिज, कूलर, और कार्यालय सजावट जैसी अस्वीकृत वस्तुओं की खरीद में किया गया।

रिपोर्ट में यह भी उल्लेख किया गया है कि 2017 से 2022 के बीच किए गए वृक्षारोपण में से केवल 33% पौधे ही जीवित रह पाए, जो कि वन अनुसंधान संस्थान द्वारा निर्धारित 60-65% की दर से काफी कम है। इसके अलावा, 37 मामलों में अंतिम मंजूरी मिलने के आठ साल बाद प्रतिपूरक वनीकरण कार्य किया गया, जिससे 11.54 करोड़ रुपये की लागत वृद्धि हुई। कैग ने सिफारिश की है कि राज्य प्राधिकरण को आंतरिक नियंत्रण और सुदृढ़ वित्तीय प्रबंधन स्थापित करना चाहिए ताकि CAMPA निधि के दुरुपयोग को रोका जा सके। इस खुलासे के बाद, राज्य सरकार और संबंधित विभागों पर पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित करने के लिए दबाव बढ़ गया है।

इन फर्जी चीजों में खर्च किए गए करोड़ों रुपये- सीएजी की रिपोर्ट में यह भी उल्लेख किया गया कि जापान इंटरनेशनल कोऑपरेशन एजेंसी (जेआईसीए) परियोजना के तहत 56.97 लाख रुपये का दुरुपयोग किया गया, जबकि यह पैसा किसी अन्य उद्देश्य के लिए था। इसके अलावा, अल्मोड़ा कार्यालय में बिना मंजूरी के सोलर फेंसिंग पर 13.51 लाख रुपये खर्च किए गए। रिपोर्ट में यह भी सामने आया कि जन जागरूकता अभियान के लिए निर्धारित 6.54 लाख रुपये का उपयोग मुख्य वन संरक्षक, सतर्कता और कानूनी प्रकोष्ठ के लिए ऑफिस बनाने पर किया गया। इसके अलावा, 13.86 करोड़ रुपये का दुरुपयोग अन्य विभागीय परियोजनाओं में किया गया, जिसमें टाईगर सफारी परियोजनाएं, कानूनी शुल्क, व्यक्तिगत यात्रा, आईफोन, लैपटॉप, फ्रिज, और कार्यालय आपूर्ति जैसी वस्तुओं की खरीद शामिल थी।

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जश्न समारोह में करोड़ रुपये खर्च किए गए- इसके साथ ही रिपोर्ट में यह भी शामिल है कि बजट बैठकों के लिए लंच और कॉर्बेट टाइगर रिजर्व के लिए 35 लाख रुपये के जश्न समारोह सहित अनावश्यक खर्चों पर 6.14 करोड़ रुपये खर्च किए गए। रिपोर्ट की मानें तो वर्षवार कुल गैर जरूरी खर्च इस प्रकार थे, जिसमें 2019-20 में 2,31,37,184 रुपये, 2020-21 में 7.96 करोड़ से ज्यादा रुपये 2021-22 में 3.58 करोड़ से ज्यादा रुपये और इस तरह कुल मिलाकर 13.86 करोड़ से ज्यादा की राशि गैर जरूरी खर्च किए गए। रिपोर्ट में सरकारी अस्पतालों में एक्सपायर हो चुकी दवाओं के वितरण पर भी चिंता जताई गई है। रिपोर्ट की मानें तो कम से कम तीन सरकारी अस्पतालों में 34 एक्सपायर हो चुकी दवाओं का स्टॉक था। इनमें से कुछ दवाएं दो साल से पहले ही खराब हो गई थी।

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Aashish Tripathi

आशीष त्रिपाठी एक सीनियर डिजिटल कंटेंट प्रोड्यूसर हैं, जिन्होंने हेमवती नंदन बहुगुणा विश्वविद्यालय से जनसंचार एवं पत्रकारिता में स्नातक और आईएमएस यूनिसन यूनिवर्सिटी से डिजिटल मार्केटिंग एवं सोशल मीडिया स्ट्रेटेजी में स्नातकोत्तर की पढ़ाई की है। उन्होंने अपने करियर की शुरुआत न्यूज में की, जिसके बाद द मैक्स ग्रुप और इन्शॉर्ट्स, डेली सोशल जैसे प्रतिष्ठित मीडिया और कॉरपोरेट संस्थानों में काम किया। वर्तमान में, वे दून खबर के ऑनलाइन डेस्क पर कार्यरत हैं। आशीष को अंतरराष्ट्रीय संबंध, कूटनीति, राजनीति और मनोरंजन की खबरों में गहरी रुचि है, और डिजिटल पत्रकारिता में लगभग 10 वर्षों का अनुभव है।

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