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हरिद्वार गंगा जल पीने के लिए असुरक्षित पाया गया जल प्रदूषण हमारे स्वास्थ्य को कैसे प्रभावित कर सकता है
देहरादून, उत्तराखंड: हाल ही में हरिद्वार में गंगा जल को लेकर किए गए परीक्षणों में यह पाया गया है कि गंगा का पानी पीने के लिए असुरक्षित है। उत्तराखंड प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (UKPCB) ने इस बात की पुष्टि की है कि हरिद्वार में गंगा जल ‘बी’ श्रेणी में आता है। इसका अर्थ है कि यह पानी नहाने के लिए तो उपयुक्त है, लेकिन पीने के लिए इसे सुरक्षित नहीं माना जा सकता।
गंगा जल की गुणवत्ता का निर्धारण
गंगा जल को विभिन्न श्रेणियों में वर्गीकृत किया गया है:
- ‘ए’ श्रेणी: कीटाणुरहित करने के बाद पीने योग्य।
- ‘बी’ श्रेणी: केवल नहाने के लिए उपयुक्त।
- ‘ई’ श्रेणी: सबसे अधिक प्रदूषित, किसी भी उपयोग के लिए अनुपयुक्त।
नवंबर 2024 में किए गए परीक्षणों में यह पाया गया कि हरिद्वार का गंगा जल केवल नहाने के लिए ही उपयुक्त है, जबकि इसमें पीने योग्य जल के मानकों की कमी पाई गई।
जल प्रदूषण का स्वास्थ्य पर प्रभाव
- पानी से होने वाली बीमारियाँ: प्रदूषित जल का सेवन डायरिया, हैजा, और टाइफाइड जैसी बीमारियों का कारण बन सकता है।
- भारी धातुओं का प्रभाव: प्रदूषित जल में मौजूद लेड, आर्सेनिक, और मरकरी जैसी भारी धातुएं गंभीर स्वास्थ्य समस्याएं जैसे कैंसर, किडनी और लीवर डैमेज का कारण बन सकती हैं।
- माइक्रोप्लास्टिक और रसायन: इनसे हार्मोनल असंतुलन और इम्यून सिस्टम कमजोर हो सकता है।
समाधान की दिशा में कदम
- गंगा में अपशिष्ट निपटान को सख्ती से रोकने की आवश्यकता है।
- गंगा सफाई अभियान को तेज करना होगा।
- स्थानीय स्तर पर जल शुद्धिकरण के लिए जागरूकता बढ़ानी होगी।
गंगा नदी का धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व है। इसलिए, इसकी स्वच्छता और शुद्धता बनाए रखने के लिए सामूहिक प्रयास की आवश्यकता है।