IMA देहरादून में 155वीं पासिंग आउट परेड: नेपाल सेना के सेनाध्यक्ष जनरल अशोक राज सिगडेल ने की समीक्षा
"491 कैडेट्स ने प्रशिक्षण पूरा किया, नेपाल सेना के दो अधिकारी कैडेट्स शामिल; परेड में उत्कृष्ट प्रदर्शन और सैन्य परंपराओं की झलक"
देहरादून: देहरादून स्थित भारतीय सैन्य अकादमी (आईएमए) में 14 दिसंबर 2024 को 155वीं पासिंग आउट परेड का आयोजन किया गया। इस ऐतिहासिक परेड की समीक्षा नेपाल सेना के सेनाध्यक्ष, सुप्रबल जनसेवाश्री जनरल अशोक राज सिगडेल ने की। उन्होंने अधिकारी कैडेट्स को उनके प्रशिक्षण के सफल समापन पर बधाई देते हुए परेड में उनकी कड़ी मेहनत और अनुशासन की सराहना की
जनरल सिगडेल ने परेड के दौरान अपने संबोधन में दोनों देशों के मजबूत सैन्य और ऐतिहासिक संबंधों पर प्रकाश डाला। उन्होंने इस यात्रा को नवंबर 2024 में भारत के सेनाध्यक्ष जनरल उपेंद्र द्विवेदी की नेपाल यात्रा का प्रतिफल बताया, जिसमें उन्हें नेपाल के राष्ट्रपति द्वारा नेपाल सेना के जनरल की मानद उपाधि से सम्मानित किया गया था।
491 कैडेट्स ने पूरा किया प्रशिक्षण
इस पासिंग आउट परेड में कुल 491 अधिकारी कैडेट्स ने प्रशिक्षण पूरा किया, जिसमें 155 नियमित पाठ्यक्रम, 44 तकनीकी प्रवेश योजना, 138 तकनीकी स्नातक पाठ्यक्रम, विशेष कमीशन अधिकारी (एससीओ-53) और 13 मित्र देशों के 35 कैडेट्स शामिल थे। इनमें नेपाल सेना के दो कैडेट्स भी शामिल हैं।
प्रमुख पुरस्कार:
- स्वॉर्ड ऑफ ऑनर: एसीए जतिन कुमार
- ऑर्डर ऑफ मेरिट (स्वर्ण पदक): एयूओ प्रथम सिंह
- ऑर्डर ऑफ मेरिट (रजत पदक): एसीए जतिन कुमार
- ऑर्डर ऑफ मेरिट (कांस्य पदक): बीयूओ मयंक ध्यानी
- बांग्लादेश पदक: प्रबीन पांडे (नेपाल)
- चीफ ऑफ आर्मी स्टाफ बैनर: जेसोर कंपनी
समीक्षा अधिकारी की प्रेरणादायक बात:
जनरल सिगडेल ने चाणक्य के शब्दों को उद्धृत करते हुए कहा, “आपका कर्म आपका भविष्य तय करेगा।” उन्होंने कैडेट्स को उनके भविष्य के लिए शुभकामनाएं दीं और देश की सेवा में ईमानदारी और समर्पण का आह्वान किया।
परेड की झलक:
कैडेट्स ने ‘सारे जहां से अच्छा’ और ‘कदम कदम बढ़ाए जा’ की धुनों पर मार्च करते हुए अपने प्रशिक्षण और अनुशासन का प्रदर्शन किया। उनकी परेड को परिवार और प्रियजनों ने गर्व के साथ देखा।
युद्ध स्मारक पर श्रद्धांजलि:
परेड के समापन के बाद, जनरल सिगडेल ने आईएमए के युद्ध स्मारक पर पुष्पांजलि अर्पित कर पूर्व सैनिकों के साहस और बलिदान को श्रद्धांजलि दी।
आईएमए की इस पासिंग आउट परेड ने एक और ऐतिहासिक मील का पत्थर स्थापित किया, जो सैन्य परंपराओं और भविष्य के योद्धाओं के लिए प्रेरणा का स्रोत है।