देहरादून, उत्तराखंड: उत्तराखंड सरकार ने राज्य के नगर निकायों में अध्यक्ष पदों के आरक्षण को लेकर अधिसूचना जारी कर दी है। इस अधिसूचना के अनुसार, नगर निगमों, नगर पालिकाओं और नगर पंचायतों के अध्यक्ष पदों को अनुसूचित जाति (एससी), अनुसूचित जनजाति (एसटी), अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी), महिलाओं और सामान्य वर्ग के लिए आरक्षित किया गया है।
आरक्षण का निर्धारण
आरक्षण प्रक्रिया को स्थानीय जनसंख्या के अनुपात और रोटेशन प्रणाली के आधार पर तय किया गया है। इस प्रक्रिया के तहत, निकायों में आरक्षण सुनिश्चित करते समय पिछली बार के आरक्षण को ध्यान में रखते हुए इसे बदलने का प्रयास किया गया है, ताकि सभी वर्गों को समान प्रतिनिधित्व मिल सके।
चुनावी तैयारियों में तेजी
अधिसूचना जारी होने के बाद सभी नगर निकाय क्षेत्रों में चुनावी गतिविधियां तेज हो गई हैं। राजनीतिक दलों ने उम्मीदवारों की चयन प्रक्रिया और प्रचार की रणनीतियों पर काम शुरू कर दिया है। उम्मीदवारों और उनके समर्थकों ने भी चुनाव अभियान तेज कर दिया है।
महिलाओं के लिए अवसर
इस बार भी महिलाओं के लिए विशेष आरक्षण सुनिश्चित किया गया है, जिससे उनकी भागीदारी बढ़ने की उम्मीद है। यह कदम राज्य में महिलाओं को सशक्त बनाने और स्थानीय शासन में उनकी भूमिका को मजबूत करने की दिशा में महत्वपूर्ण माना जा रहा है।
आम जनता की प्रतिक्रिया
आरक्षण अधिसूचना पर आम जनता और विभिन्न संगठनों से मिली-जुली प्रतिक्रिया सामने आ रही है। कई लोग इसे सामाजिक समावेश की दिशा में एक अच्छा कदम मानते हैं, जबकि कुछ ने आरक्षण के निर्धारण प्रक्रिया पर सवाल उठाए हैं।
निष्कर्ष
निकाय चुनावों में आरक्षण की अधिसूचना जारी होने के बाद राजनीतिक हलचल तेज हो गई है। आने वाले दिनों में उम्मीदवारों और पार्टियों की ओर से चुनाव प्रचार और रणनीतियों में और तेजी आने की संभावना है। यह अधिसूचना राज्य में सामाजिक संतुलन और लोकतांत्रिक प्रक्रिया को मजबूत करने के सरकार के प्रयास का हिस्सा है।