सड़क की मांग को लेकर चमोली के डुमक गांव के ग्रामीणों का आंदोलन जारी, बीमार बुजुर्ग को दंडी-कंडी से पहुंचाया गया सड़क तक
"सड़क सुविधा के अभाव में डुमक गांव के ग्रामीणों का आंदोलन जारी, भूख हड़ताल पर बैठे महिलाएं और पुरुष"
चमोली: चमोली जिले के डुमक गांव में सड़क की कमी बनी जीवन और मृत्यु का सवाल, ग्रामीण आंदोलनरत
क्या है मामला?
चमोली जिले के डुमक गांव में सड़क सुविधा के अभाव के कारण ग्रामीणों को भारी समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। हाल ही में 62 वर्षीय बीमार बुजुर्ग भवान सिंह सनवाल को ग्रामीणों ने जान हथेली पर रखकर दंडी-कंडी के सहारे 7 किलोमीटर लंबा पथरीला रास्ता पार कर मुख्य सड़क तक पहुंचाया। यह घटना इलाके में सड़क की आवश्यकता को लेकर शासन-प्रशासन की अनदेखी को उजागर करती है।
कब और कहां हो रहा है आंदोलन?
ग्रामीण पिछले 27 दिनों से चमोली जिला मुख्यालय में धरना प्रदर्शन कर रहे हैं। वहीं, पिछले 22 दिनों से भूख हड़ताल पर बैठे ग्रामीणों ने अपनी मांगों को तेज किया है। अब गांव की महिलाओं ने भी आंदोलन में सक्रिय भागीदारी शुरू कर दी है और भूख हड़ताल का सहारा लिया है।
कौन-कौन शामिल है?
डुमक गांव के निवासी, जिनमें पुरुष, महिलाएं, बुजुर्ग और युवा शामिल हैं, आंदोलन में भाग ले रहे हैं। गांव की महिलाओं ने भी आंदोलन का नेतृत्व संभाल लिया है।
क्यों हो रहा है आंदोलन?
ग्रामीणों का कहना है कि डुमक गांव तक सड़क सुविधा न होने के कारण उन्हें अत्यधिक कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। आपात स्थिति में बीमार व्यक्तियों को अस्पताल तक पहुंचाना बेहद कठिन हो जाता है। ग्रामीणों ने सड़क निर्माण की मांग वर्षों से की है, लेकिन शासन-प्रशासन ने अब तक उनकी समस्याओं को अनसुना किया है।
कैसे हो रहा है विरोध?
ग्रामीण अपनी मांगों को लेकर धरना प्रदर्शन, भूख हड़ताल और जिला मुख्यालय में प्रदर्शन कर रहे हैं। यह आंदोलन पूरी तरह से शांतिपूर्ण है, लेकिन प्रशासन की उदासीनता उनके धैर्य की परीक्षा ले रही है।
क्या कह रहे हैं आंदोलनकारी?
आंदोलनकारी ग्रामीणों का कहना है, “सड़क न होने की वजह से हमें छोटी-छोटी जरूरतों के लिए भी बड़ी कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। बीमार व्यक्ति की जान बचाने के लिए हमें जान जोखिम में डालनी पड़ती है। जब तक सड़क निर्माण का वादा नहीं किया जाता, हम यहां से नहीं हटेंगे।”
समस्या का समाधान कब होगा?
प्रशासन द्वारा अब तक कोई ठोस आश्वासन नहीं दिया गया है। ग्रामीणों ने अपनी मांगें स्पष्ट कर दी हैं कि जब तक डुमक गांव को सड़क सुविधा से नहीं जोड़ा जाता, आंदोलन जारी रहेगा।
सरकार और प्रशासन का क्या कहना है?
इस विषय पर शासन-प्रशासन की ओर से कोई ठोस बयान या कार्रवाई सामने नहीं आई है। ग्रामीणों को उम्मीद है कि उनकी आवाज जल्द ही सुनी जाएगी और इस समस्या का स्थायी समाधान निकाला जाएगा।
क्या दूर होजाएगी इसकी परेशानिया ?
डुमक गांव के लोगों की सड़क की मांग केवल विकास का सवाल नहीं, बल्कि जीवन और मृत्यु का मुद्दा है। प्रशासन को जल्द से जल्द उनकी समस्याओं को गंभीरता से लेना चाहिए, अन्यथा यह आंदोलन और बड़ा रूप ले सकता है।