देहरादून, उत्तराखंड: तुलसी पूजन दिवस हर साल 25 दिसंबर को मनाया जाता है। यह दिन भारतीय संस्कृति में विशेष महत्व रखता है, क्योंकि यह तुलसी के पौधे के प्रति सम्मान और उसकी उपयोगिता को समझाने का अवसर है। तुलसी, जिसे “पवित्र तुलसी” भी कहा जाता है, न केवल धार्मिक बल्कि औषधीय दृष्टिकोण से भी महत्वपूर्ण है।
तुलसी का महत्व
- धार्मिक दृष्टि से:
- हिंदू धर्म में तुलसी को देवी का स्वरूप माना गया है। इसे भगवान विष्णु और श्रीकृष्ण को अर्पित किया जाता है।
- तुलसी के पौधे को घर में रखने से सकारात्मक ऊर्जा आती है और इसे शुभ माना जाता है।
- औषधीय गुण:
- तुलसी को आयुर्वेद में एक दिव्य औषधि कहा गया है।
- यह श्वसन, पाचन और प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत करती है।
- तुलसी के पत्ते सर्दी, खांसी और जुकाम जैसी बीमारियों में उपयोगी होते हैं।
- पर्यावरण संरक्षण:
- तुलसी हवा को शुद्ध करने में मदद करती है।
- यह पर्यावरण के लिए लाभदायक है और इसे लगाने से पर्यावरणीय संतुलन बनाए रखने में मदद मिलती है।
तुलसी पूजन का महत्व
- संस्कार और परंपरा: तुलसी पूजन का उद्देश्य युवाओं और बच्चों में भारतीय संस्कृति और परंपराओं के प्रति जागरूकता बढ़ाना है।
- आध्यात्मिक लाभ: तुलसी पूजन से मानसिक शांति और आध्यात्मिक उन्नति का अनुभव होता है।
- प्राकृतिक संतुलन: इस दिन तुलसी के पौधे लगाने और उसकी देखभाल करने का संदेश दिया जाता है।
तुलसी पूजन विधि
- तुलसी के पौधे को गंगाजल या शुद्ध जल से स्नान कराएं।
- तुलसी पर लाल या पीला वस्त्र चढ़ाएं।
- तुलसी के चारों ओर दीपक जलाएं।
- श्री विष्णु और तुलसी की आरती करें।
- परिवार के सभी सदस्यों के साथ मिलकर तुलसी पूजन करें।
तुलसी पूजन दिवस का संदेश
तुलसी पूजन दिवस हमें यह सिखाता है कि प्रकृति और संस्कृति से जुड़कर कैसे हम एक स्वस्थ, पवित्र और संतुलित जीवन जी सकते हैं। यह पर्व पर्यावरण संरक्षण, औषधीय पौधों के महत्व और भारतीय परंपराओं को सहेजने का प्रतीक है।