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Lohri 2025: जानें लोहड़ी के त्योहार का इतिहास और महत्व

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नई दिल्ली। लोहड़ी एक महत्वपूर्ण पंजाबी त्योहार है, जो विशेष रूप से पंजाब, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, और जम्मू-कश्मीर के ग्रामीण और शहरी इलाकों में मनाया जाता है। यह मुख्य रूप से कृषि आधारित पर्व है और रबी फसलों की कटाई का प्रतीक है। लोहड़ी का पर्व सर्दी के मौसम के अंत और गर्मी की शुरुआत का प्रतीक माना जाता है। यह पर्व विशेष रूप से फसल की अच्छी पैदावार और किसानों की मेहनत का उत्सव होता है।

लोहड़ी का नाम “लोह” (जिसका अर्थ है आग) से आया है, और यह त्योहार आग जलाकर मनाने की परंपरा पर आधारित है। लोग घरों के आंगन या खुले मैदान में आग जलाते हैं और इसके चारों ओर परिक्रमा करते हैं।

लोहड़ी का महत्व:

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  1. कृषि उत्सव: लोहड़ी रबी फसलों की कटाई का पर्व है। यह विशेष रूप से गेहूं, जौ, और सरसों जैसी फसलों के अच्छे उत्पादन के लिए मनाया जाता है। किसान इस दिन अपने खेतों में हुई मेहनत और सफलता का जश्न मनाते हैं।
  2. प्राकृतिक बदलाव: लोहड़ी का पर्व सर्दी के मौसम के समाप्ति और गर्मी के आगमन को दर्शाता है। यह प्रकृति के बदलाव का प्रतीक होता है और मौसम के इस बदलाव का स्वागत करने का अवसर होता है।
  3. दुल्ला भट्टी की कहानी: लोहड़ी के दिन दुल्ला भट्टी नामक एक लोकप्रिय लोक नायक की कहानी सुनाई जाती है। वह एक महान नेता थे जिन्होंने गरीब और असहाय लड़कियों की मदद की थी। उनकी दयालुता और साहस की कहानी इस दिन को और भी खास बनाती है।
  4. सामाजिक और सांस्कृतिक महत्व: लोहड़ी का पर्व समुदायों को एकजुट करने का कार्य करता है। लोग एक-दूसरे के साथ खुशियां बांटते हैं, नृत्य करते हैं, और मिठाइयों का आदान-प्रदान करते हैं। यह सांस्कृतिक विरासत और पारंपरिक रूप से जुड़ा हुआ है।

लोहड़ी की परंपराएं:

  1. आग जलाना: लोहड़ी की रात को लोग खुले स्थानों पर या अपने घरों के आंगन में आग जलाते हैं। इस आग को “लोहड़ी की आग” कहा जाता है और लोग इसके चारों ओर घूमकर तिल, मूंगफली, गुड़ और रेवड़ी जैसे खाद्य पदार्थ अर्पित करते हैं।
  2. नृत्य और संगीत: लोहड़ी के दिन विशेष रूप से भांगड़ा और गिद्दा नृत्य किया जाता है। ढोल की धुन पर यह नृत्य होता है और लोग आनंद लेते हैं।
  3. मिठाइयां और भेंट: लोहड़ी के अवसर पर तिल, गुड़, मूंगफली और रेवड़ी जैसी मिठाइयां बांटी जाती हैं। यह मिठाइयां फसल के अच्छे उत्पादन और खुशहाली की प्रतीक मानी जाती हैं।
  4. दुल्ला भट्टी की कहानी: लोहड़ी के दिन विशेष रूप से दुल्ला भट्टी की कहानी सुनाई जाती है, जिसमें बताया जाता है कि किस तरह दुल्ला भट्टी ने गरीब लड़कियों की मदद की थी और उनके लिए शादी के लिए आवश्यक सामान जुटाया था।

लोहड़ी के दौरान किए जाने वाले उपाय:

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लोहड़ी के दिन कुछ विशेष उपाय भी किए जाते हैं जिन्हें करने से समृद्धि और खुशहाली आती है:

  1. आग के चारों ओर परिक्रमा करना: आग के चारों ओर तीन या सात परिक्रमा करना शुभ माना जाता है। यह कर्म व्यक्ति को समृद्धि और सुख-शांति देता है।
  2. तिल और गुड़ का सेवन: तिल और गुड़ का सेवन करना लोहड़ी के दिन विशेष रूप से शुभ माना जाता है, क्योंकि यह शरीर को ताजगी और ऊर्जा देता है।
  3. लोहड़ी के गीत गाना: लोग लोहड़ी के पारंपरिक गीत गाकर इस दिन को और भी आनंदमयी बनाते हैं।

समाप्ति: लोहड़ी न केवल एक कृषि पर्व है, बल्कि यह समाजिक और सांस्कृतिक रूप से भी एक महत्वपूर्ण त्यौहार है। यह एकता, खुशी और समृद्धि का प्रतीक है, और इसे धूमधाम से मनाना हमारे पारंपरिक मूल्यों और सांस्कृतिक धरोहरों को जीवित रखता है।

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