देहरादून। उत्तराखंड पुलिस के विशेष कार्य बल (एसटीएफ) ने 25 वर्षों से फरार चल रहे सुरेश शर्मा को गिरफ्तार किया है। सुरेश शर्मा पर 1999 में चमोली जिले के जिला शासकीय अधिवक्ता (डीजीसी) बालकृष्ण भट्ट की हत्या का आरोप था। उस समय वह डीजीसी भट्ट के साथ भूमि विवाद में था, और विवाद के चलते उसने उनकी चाकू से हत्या कर दी थी।
इस हत्याकांड के बाद सुरेश शर्मा फरार हो गया था और राज्य की पुलिस ने उसे पकड़ने के लिए कई प्रयास किए थे। उत्तराखंड सरकार ने इस पर दो लाख रुपये का इनाम घोषित किया था। सुरेश शर्मा की गिरफ्तारी एसटीएफ के लिए बड़ी सफलता मानी जा रही है, क्योंकि वह राज्य का पहला घोषित इनामी अपराधी था।
एसटीएफ की टीम ने उसकी पहचान जमशेदपुर, झारखंड में की, जहां वह नाम और हुलिया बदलकर रह रहा था। वह मनीष शर्मा और मनोज जोशी के नाम से पहचान पत्र बनवाकर व्यवसाय कर रहा था।
एसटीएफ के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक नवनीत सिंह के मुताबिक, सुरेश शर्मा की गिरफ्तारी 23 जनवरी 2025 को की गई। गिरफ्तारी के बाद, आरोपी ने पुलिस को बताया कि जमानत मिलने के बाद वह मुंबई, कोलकाता और फिर जमशेदपुर में रहने लगा था। वह इन सभी स्थानों पर छिप कर रहता था और अपने नाम और पहचान को बदलता रहा।
यह घटना एसटीएफ की बड़ी उपलब्धि मानी जा रही है, क्योंकि यह राज्य के सबसे पहले घोषित इनामी अपराधी की गिरफ्तारी है।