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देहरादून । उत्तराखंड, जो समान नागरिक संहिता (Uniform Civil Code – UCC) लागू करने वाला देश का पहला राज्य बन गया है, ने लिव-इन रिलेशनशिप को लेकर नए सख्त नियम लागू किए हैं। राज्य में लिव-इन में रहने वाले जोड़ों को अनिवार्य रूप से पंजीकरण कराना होगा, अन्यथा उन्हें छह महीने तक की जेल हो सकती है।
पंजीकरण की प्रक्रिया- लिव-इन में रहने वाले जोड़ों को पंजीकरण कराने के लिए एक 16 पृष्ठों का विस्तृत फॉर्म भरना होगा, जो ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों तरीकों से जमा किया जा सकता है। ऑनलाइन आवेदन के लिए आधार कार्ड से पंजीकरण आवश्यक होगा। आवेदन पत्र भरने के दौरान आवेदकों को आयु और निवास प्रमाण पत्र भी देना होगा।
अगर कोई साथी 21 साल से कम उम्र का है, तो माता-पिता को इसकी जानकारी दी जाएगी।
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प्रतिबंधित रिश्ते और प्रमाण पत्र- नए कानून के तहत 74 तरह के रिश्तों को प्रतिबंधित किया गया है। इन रिश्तों में माता-पिता, दादा-दादी, बहन, चाचा-चाची, मामा-मामी, भतीजी, भांजी और अन्य करीबी रिश्तेदार शामिल हैं। यदि कोई रिश्ता इन प्रतिबंधों के अंतर्गत आता है, तो संबंधित व्यक्ति को समुदाय प्रमुख या धार्मिक नेता से प्रमाण पत्र लेना अनिवार्य होगा। आवेदन फॉर्म में समुदाय प्रमुख या पुजारी का पूरा नाम, पता और मोबाइल नंबर दर्ज करना होगा।
आवश्यक दस्तावेज
लिव-इन जोड़ों को पंजीकरण प्रक्रिया के लिए निम्नलिखित दस्तावेज जमा करने होंगे:
- पहले के रिश्ते का प्रमाण:
- यदि कोई तलाकशुदा है, तो तलाक का प्रमाण पत्र देना होगा।
- यदि कोई विधवा/विधुर है, तो पति/पत्नी का मृत्यु प्रमाण पत्र देना होगा।
- यदि पूर्व लिव-इन साथी की मृत्यु हो गई है, तो मृत्यु प्रमाण पत्र प्रस्तुत करना अनिवार्य होगा।
- बच्चे की स्थिति:
- यदि लिव-इन जोड़े का बच्चा है या उन्होंने गोद लिया है, तो बर्थ सर्टिफिकेट या अडॉप्शन सर्टिफिकेट देना होगा।
- धार्मिक प्रमाण पत्र:
- कुछ मामलों में, पुजारी या समुदाय प्रमुख से प्रमाण पत्र लेना होगा।
शुल्क और दंड
उत्तराखंड सरकार ने लिव-इन रिलेशनशिप को कानूनी दायरे में लाने के लिए पंजीकरण शुल्क निर्धारित किया है:
- पंजीकरण शुल्क: ₹500
- एक महीने के भीतर पंजीकरण न कराने पर अतिरिक्त जुर्माना: ₹1000
- लिव-इन रिश्ता खत्म करने पर रजिस्ट्रेशन शुल्क: ₹500
मकान मालिकों के लिए नए नियम- यदि कोई लिव-इन जोड़ा किराए पर रहना चाहता है, तो मकान मालिक को उनका पंजीकरण प्रमाण पत्र लेना अनिवार्य होगा। यदि मकान मालिक ऐसा नहीं करता है, तो उसे ₹20,000 तक का जुर्माना देना पड़ सकता है।
लिव-इन पंजीकरण के फायदे
- पंजीकृत लिव-इन रिलेशनशिप में महिला को आर्थिक सहायता (maintenance) का अधिकार मिलेगा, अगर उसका साथी उसे छोड़ देता है।
- लिव-इन रिलेशनशिप से जन्मे बच्चों को कानूनी रूप से वैध माना जाएगा।
पंजीकरण प्रक्रिया और समय सीमा
जिला रजिस्ट्रार को 30 दिनों के भीतर पंजीकरण को मंजूरी या अस्वीकृत करना होगा। यदि पंजीकरण अस्वीकृत किया जाता है, तो जोड़े को अपील करने का अधिकार होगा।
अधिक जानकारी और पंजीकरण के लिए आधिकारिक वेबसाइट: ucc.uk.gov.in