UTTARAKHAND
Uttarakhand: जल प्रदूषण पर रोज़ाना ₹10,000 तक जुर्माना, वाटर एक्ट-2024 संशोधित अधिनियम पारित

देहरादून। उत्तराखंड सरकार ने जल (प्रदूषण की रोकथाम और नियंत्रण) संशोधन अधिनियम, 2024 पारित किया है, जिसका उद्देश्य जल संसाधनों की सुरक्षा को मजबूत करना और जल प्रदूषण पर सख्त नियंत्रण लागू करना है। इस नए संशोधित अधिनियम के तहत, जल निकायों को प्रदूषित करने वाले व्यक्तियों या संस्थानों पर प्रतिदिन ₹10,000 तक का जुर्माना लगाया जा सकता है।
संशोधित अधिनियम के मुख्य प्रावधान
- प्रदूषण पर सख्त जुर्माना
- जल स्रोतों में गंदगी या हानिकारक रसायन छोड़ने पर ₹10,000 प्रतिदिन तक का दंड लगाया जाएगा।
- गंभीर मामलों में जुर्माना अधिकतम ₹15 लाख तक हो सकता है।
- औद्योगिक इकाइयों के लिए नियम
- कुछ श्रेणियों के औद्योगिक संयंत्रों को उत्तराखंड प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (SPCB) से पूर्व स्वीकृति लेने से छूट मिल सकती है, बशर्ते वे केंद्र सरकार और केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) द्वारा तय दिशानिर्देशों का पालन करें।
- जल प्रदूषण रोकने के लिए उद्योगों को आधुनिक ट्रीटमेंट प्लांट लगाने होंगे।
- निगरानी और नियंत्रण
- जल प्रदूषण निगरानी उपकरणों के साथ छेड़छाड़ करने पर भी ₹10,000 से ₹15 लाख तक का जुर्माना होगा।
- राज्य सरकार और केंद्रीय पर्यावरण एजेंसियां इस कानून को लागू करने के लिए विशेष दल गठित करेंगी।
- केंद्र सरकार की भूमिका
- केंद्र सरकार को SPCB द्वारा दी गई मंजूरी को स्वीकार करने, अस्वीकार करने या रद्द करने का अधिकार होगा।
- निगरानी के लिए विशेष निर्देश जारी किए जाएंगे।
अधिनियम का प्रभाव
- पर्यावरण संरक्षण: यह कानून जल प्रदूषण को रोकने में मदद करेगा और जल संसाधनों की स्वच्छता बनाए रखेगा।
- उद्योगों पर असर: नए नियमों से उद्योगों को जल शोधन प्रणालियों में अधिक निवेश करना होगा।
- सख्त दंड प्रावधान: अब तक जल प्रदूषण से जुड़े मामलों में कानूनी कार्रवाई जटिल थी, लेकिन अब स्पष्ट और सख्त दंड का प्रावधान है।
यह अधिनियम प्रारंभ में हिमाचल प्रदेश, राजस्थान और केंद्र शासित प्रदेशों पर लागू होगा। अन्य राज्य भी इसे अपनाने के लिए अपनी विधानसभाओं में प्रस्ताव पारित कर सकते हैं।