Uttarakhand: सहकारी समितियों के चुनाव स्थगित, नैनीताल हाईकोर्ट ने सरकार को दिया यह आदेश
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देहरादून। उत्तराखंड में सहकारी समितियों के चुनावों को लेकर हालिया घटनाक्रम में, नैनीताल हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को निर्देश दिया है कि चुनाव पूर्व निर्धारित नियमों के अनुसार ही कराए जाएं। इससे पहले, राज्य सरकार ने चुनाव प्रक्रिया के दौरान नियमों में संशोधन किया था, जिसे याचिकाकर्ताओं ने चुनौती दी थी। याचिकाकर्ताओं का तर्क था कि चुनाव कार्यक्रम घोषित होने के बाद नियमों में बदलाव करना अनुचित है और यह उन सदस्यों को मतदान का अधिकार देता है जो सेवानिवृत्त हैं या समिति के सदस्य नहीं हैं। हाईकोर्ट की खंडपीठ ने एकलपीठ के आदेश को बरकरार रखते हुए राज्य सरकार से कहा कि चुनाव पूर्व के नियमों के अनुसार ही संपन्न कराए जाएं।
इस आदेश के बाद, सहकारी निर्वाचन प्राधिकरण ने 25 फरवरी को प्रस्तावित चुनाव प्रक्रिया को अग्रिम आदेश तक स्थगित कर दिया है। मामला उच्च न्यायालय में विचाराधीन है, और अगली सुनवाई 27 फरवरी को निर्धारित की गई है। इस स्थगन के कारण, चंपावत जिले सहित राज्य के सभी 13 जिलों की सैकड़ों समितियों में अध्यक्ष, उपाध्यक्ष और प्रतिनिधि के चुनाव फिलहाल टाल दिए गए हैं।
यह मामला तब शुरू हुआ जब राज्य सरकार ने चुनाव प्रक्रिया के दौरान नियमों में संशोधन किया, जिसे याचिकाकर्ताओं ने चुनौती दी। उनका दावा था कि चुनाव कार्यक्रम घोषित होने के बाद नियमों में बदलाव करना अनुचित है और यह उन सदस्यों को मतदान का अधिकार देता है जो सेवानिवृत्त हैं या समिति के सदस्य नहीं हैं। हाईकोर्ट की खंडपीठ ने एकलपीठ के आदेश को बरकरार रखते हुए राज्य सरकार से कहा कि चुनाव पूर्व के नियमों के अनुसार ही संपन्न कराए जाएं।
इस घटनाक्रम के बाद, सहकारी निर्वाचन प्राधिकरण ने 25 फरवरी को प्रस्तावित चुनाव प्रक्रिया को अग्रिम आदेश तक स्थगित कर दिया है। मामला उच्च न्यायालय में विचाराधीन है, और अगली सुनवाई 27 फरवरी को निर्धारित की गई है। इस स्थगन के कारण, चंपावत जिले सहित राज्य के सभी 13 जिलों की सैकड़ों समितियों में अध्यक्ष, उपाध्यक्ष और प्रतिनिधि के चुनाव फिलहाल टाल दिए गए हैं।
इससे पहले, सहकारिता समितियों के चुनाव न कराए जाने के खिलाफ दायर अवमानना याचिका पर सुनवाई के दौरान, हाईकोर्ट ने अधिकारियों को चुनाव कार्यक्रम प्रस्तुत करने के निर्देश दिए थे। हालांकि, चुनाव प्रक्रिया में संशोधन और उससे उत्पन्न विवादों के चलते, चुनावों को स्थगित करना पड़ा है
इस स्थिति में, सहकारी समितियों के सदस्यों और संबंधित पक्षों को उच्च न्यायालय के आगामी आदेशों का इंतजार करना होगा ताकि चुनाव प्रक्रिया को आगे बढ़ाया जा सके।