
देहरादून। उत्तराखंड के चमोली जिले में माणा गांव के पास शुक्रवार सुबह एक भीषण हिमस्खलन हुआ, जिसमें सीमा सड़क संगठन (बीआरओ) के 55 मजदूर बर्फ में दब गए। अब तक 33 मजदूरों को सुरक्षित बाहर निकाला जा चुका है, जबकि 22 अभी भी लापता हैं। बचाव कार्य में सेना, भारत-तिब्बत सीमा पुलिस (आईटीबीपी), राज्य आपदा प्रतिवादन बल (एसडीआरएफ), राष्ट्रीय आपदा मोचन बल (एनडीआरएफ) और बीआरओ की टीमें शामिल हैं। हालांकि, खराब मौसम और लगातार बर्फबारी के कारण रेस्क्यू ऑपरेशन में बाधाएं आ रही हैं।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने बचाव कार्यों की समीक्षा की है और वायुसेना के हेलीकॉप्टरों को भी तैयार रहने के निर्देश दिए हैं, ताकि जरूरत पड़ने पर उन्हें रेस्क्यू ऑपरेशन में शामिल किया जा सके। हिमस्खलन स्थल पर लगभग सात फीट तक बर्फ जमी हुई है, जिससे बचाव कार्य चुनौतीपूर्ण हो गया है। फंसे हुए मजदूरों में से कुछ बिहार, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश, पंजाब और जम्मू-कश्मीर सहित विभिन्न राज्यों से हैं।
बद्रीनाथ से लगभग छह किलोमीटर आगे स्थित माणा गांव भारत-तिब्बत सीमा पर बसा अंतिम गांव है, जो समुद्र तल से 3,200 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। यह क्षेत्र हिमस्खलन की दृष्टि से संवेदनशील माना जाता है, और शीतकाल में यहां ऐसे हादसों की संभावना बनी रहती है।
बचाव दलों की प्राथमिकता लापता मजदूरों को जल्द से जल्द खोजकर सुरक्षित बाहर निकालना है। स्थानीय प्रशासन और संबंधित एजेंसियां इस दिशा में लगातार प्रयासरत हैं।