
रक्सौल । सामरिक और व्यावसायिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण सीमाई शहर रक्सौल के हवाई अड्डे को ग्रीन फील्ड एयरपोर्ट के रूप में विकसित किया जाएगा। बिहार विधानसभा के बजट सत्र में उपमुख्यमंत्री सह वित्त मंत्री सम्राट चौधरी ने इसकी आधिकारिक घोषणा की।
1962 में हुआ था एयरपोर्ट का निर्माण, फिर हुआ वीरान
रक्सौल एयरपोर्ट की स्थापना 1962 में भारत-चीन युद्ध के दौरान हुई थी। उस समय कलिंगा और बुद्धा नामक विमान पटना व भागलपुर के लिए उड़ान भरते थे, लेकिन एक साल बाद ही उड़ानें बंद हो गईं, और तब से यह एयरपोर्ट निष्क्रिय पड़ा था।
211 करोड़ का आवंटन, 139 एकड़ भूमि अधिग्रहण जारी
रक्सौल हवाई अड्डे को ग्रीन फील्ड एयरपोर्ट के रूप में विकसित करने के लिए केंद्र सरकार ने भूमि अधिग्रहण के लिए 211 करोड़ रुपये मंजूर किए हैं। वर्तमान में एयरपोर्ट 213 एकड़ भूमि में फैला है, जिसमें 153 एकड़ भूमि रनवे के लिए उपयोग की जा रही है। इसके अतिरिक्त भरतमही, एकडेरवा, सिंहपुर, सिसवा, चिकनी और चंदुली गांवों में भूमि अधिग्रहण जारी है।
2015 में मिला था 250 करोड़ का पैकेज
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2015 में इस एयरपोर्ट के विकास के लिए 250 करोड़ रुपये के पैकेज की घोषणा की थी। अब सरकार इसे साकार करने की दिशा में आगे बढ़ रही है।
स्थानीय नेताओं और जनप्रतिनिधियों की प्रतिक्रियाएं
- लोजपा (आर) के प्रदेश महासचिव पंकज कुमार पांडेय, महेश अग्रवाल, डॉ. स्वयंभू शलभ, अरुण गुप्ता, विमल रुंगटा आदि ने इस बजटीय प्रावधान का स्वागत किया और इसे भारत-नेपाल के बीच ऐतिहासिक “बेटी-रोटी” संबंधों और व्यापारिक रिश्तों को मजबूत करने वाला कदम बताया।
- सांसद डॉ. संजय जायसवाल ने कहा कि इससे सीमावर्ती क्षेत्रों और नेपाल के नागरिकों को हवाई यात्रा में सुविधा मिलेगी, जिससे व्यापारिक रिश्ते भी सुदृढ़ होंगे।
- विधायक प्रमोद कुमार सिन्हा ने इस घोषणा का स्वागत करते हुए मुख्यमंत्री और वित्त मंत्री के प्रति आभार व्यक्त किया और कहा कि इससे सीमावर्ती इलाकों के नागरिकों के साथ नेपाल के लोगों को भी लाभ मिलेगा।
यह एयरपोर्ट न केवल भारत-नेपाल के बीच संपर्क को आसान बनाएगा बल्कि रक्सौल और आसपास के इलाकों में आर्थिक और व्यावसायिक विकास को भी गति देगा।