
नई दिल्ली । हाल ही में काठमांडू में पूर्व राजा ज्ञानेन्द्र शाह के स्वागत के दौरान राजावादी समर्थकों ने एक विशेष प्रदर्शन किया, जिसमें उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की तस्वीरें भी प्रदर्शित की गईं। यह दृश्य तब सामने आया जब समर्थकों ने पूर्व राजा के साथ-साथ योगी आदित्यनाथ की तस्वीरों के साथ जुलूस निकाला।
ज्ञानेन्द्र शाह ने पिछले महीने गोरखपुर में योगी आदित्यनाथ से मुलाकात की थी, जिसके बाद नेपाल में हिंदू राष्ट्र की मांग को लेकर राजावादी गतिविधियां तेज़ हो गई हैं। प्रदर्शन में योगी आदित्यनाथ की तस्वीरों के उपयोग से नेपाल के राजनीतिक हलकों में संदेह और बहस की स्थिति उत्पन्न हो गई है। कुछ नेताओं का मानना है कि यह प्रदर्शन बाहरी प्रभाव के तहत हो रहा है, जबकि अन्य इसे नेपाल की संप्रभुता के लिए खतरा मानते हैं।

नेपाल में हाल के दिनों में सरकार विरोधी प्रदर्शनों में वृद्धि देखी गई है, विशेषकर राजधानी काठमांडू में। इन प्रदर्शनों में पूर्व राजा ज्ञानेंद्र शाह की सक्रिय भागीदारी और भारत के उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के साथ उनकी तस्वीरों ने विशेष ध्यान आकर्षित किया है। इन घटनाओं के बीच, नेपाल को फिर से हिंदू राष्ट्र घोषित करने की मांग जोर पकड़ रही है, जो नेपाल, भारत और चीन के बीच भू-राजनीतिक समीकरणों को प्रभावित कर सकती है।
नेपाल 2008 तक विश्व का एकमात्र हिंदू राष्ट्र था, लेकिन उस वर्ष इसे एक धर्मनिरपेक्ष गणराज्य घोषित किया गया। हाल के प्रदर्शनों में, बड़ी संख्या में नागरिक नेपाल को फिर से हिंदू राष्ट्र बनाने की मांग कर रहे हैं। इस मांग को लेकर काठमांडू में बड़े पैमाने पर रैलियां आयोजित की गई हैं, जिनमें पूर्व राजा ज्ञानेंद्र शाह की उपस्थिति ने इस आंदोलन को और बल दिया है। नेपाल में हिंदू राष्ट्र की मांग को भारत के उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का समर्थन प्राप्त है। योगी आदित्यनाथ ने नेपाल के हिंदू राष्ट्र के रूप में ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्व पर प्रकाश डाला है। उनकी इस समर्थन ने नेपाल में हिंदू राष्ट्र की मांग को और मजबूती दी है।
नेपाल की राजनीतिक स्थिरता भारत और चीन दोनों के लिए महत्वपूर्ण है। नेपाल में हिंदू राष्ट्र की पुनर्स्थापना की मांग और राजशाही समर्थक आंदोलनों पर भारत और चीन की नजर है। इस घटनाक्रम ने नेपाल में राजनीतिक ध्रुवीकरण को और बढ़ा दिया है, जहां एक ओर राजशाही समर्थक हिंदू राष्ट्र की पुनर्स्थापना की मांग कर रहे हैं, वहीं दूसरी ओर गणतंत्र समर्थक इसे लोकतंत्र विरोधी कदम के रूप में देख रहे हैं। सरकार ने राजधानी में सुरक्षा सतर्कता बढ़ा दी है और स्थिति पर कड़ी निगरानी रख रही है।
नेपाल में राजशाही और हिंदू राष्ट्र की मांग को लेकर उठ रही आवाज़ों के पीछे के कारणों को समझने के लिए आप दून खबर के और आर्टिकल पढ़ सकते हैं।