Advertisement
UTTARAKHANDDEHRADUN

158 साल पुराना इतिहास अब एक क्लिक दूर: देहरादून में 1867 से अब तक के भूमि दस्तावेज हुए डिजिटल

Advertisement
Advertisement

देहरादून | उत्तराखंड ने भूमि दस्तावेजों के डिजिटलीकरण की दिशा में ऐतिहासिक कदम उठाते हुए देहरादून समेत अन्य जिलों में 158 साल पुराने रजिस्ट्री रिकॉर्ड्स को ऑनलाइन उपलब्ध कराना शुरू कर दिया है। देहरादून में वर्ष 1867 से अब तक के भूमि दस्तावेजों को डिजिटल रूप में स्कैन कर ऑनलाइन अपलोड करने का कार्य 90 प्रतिशत से अधिक पूर्ण हो चुका है।

पुराने दस्तावेजों की सॉफ्ट कॉपी हिंदी और अंग्रेजी भाषा में जारी कर दी गई है, जबकि उर्दू और फारसी में उपलब्ध बैनामों को स्कैन करने और अपलोड करने की प्रक्रिया अभी जारी है। भाषाई जटिलताओं के कारण इन दस्तावेजों को अंतिम चरण में पोर्टल पर अपलोड किया जाएगा।

डिजिटलाइजेशन के पीछे की प्रक्रिया

पुरानी रजिस्ट्री के डिजिटलीकरण की प्रक्रिया दो वर्ष पूर्व तब शुरू की गई, जब देहरादून में स्थित कजीवाड़ा कार्यालय की एक ऐतिहासिक रजिस्ट्री सामने आई। इसके बाद निर्णय लिया गया कि सभी पुराने भू-दस्तावेजों को स्कैन कर डिजिटल रूप में संरक्षित किया जाएगा। वर्ष 1867 से लागू भू-बंदोबस्त प्रणाली के तहत संग्रहित बैनामों को सॉफ्टवेयर पर अपलोड कर अब ऑनलाइन उपलब्ध कराया जा रहा है।

Advertisement Digital Marketing Solutions for Every Business

मेटा डेटा से आसान होगी दस्तावेजों की खोज

डिजिटलीकरण केवल दस्तावेजों की स्कैनिंग तक सीमित नहीं है, बल्कि रजिस्ट्रार कार्यालय ने प्रत्येक रजिस्ट्री के लिए मेटा डेटा भी तैयार किया है। इसमें दस्तावेज की तिथि, समय, क्षेत्र, और संबंधित कार्यालय की जानकारी शामिल है। मेटा डेटा की सहायता से उपयोगकर्ता किसी भी भूमि दस्तावेज की खोज पोर्टल पर आसानी से कर सकता है। इसके आधार पर नागरिक प्रमाणित प्रति (सर्टिफाइड कॉपी) के लिए आवेदन कर सकते हैं, जिसे ई-नकल के रूप में मेल पर प्राप्त किया जा सकेगा।

क्षेत्रीय भाषा और ऐतिहासिक संदर्भ

आज़ादी से पूर्व के दस्तावेजों का डिजिटलीकरण एक चुनौतीपूर्ण कार्य रहा है। नैनीताल और कुमाऊं क्षेत्र की अधिकतर पुरानी रजिस्ट्रियां अंग्रेज़ी में हैं, जबकि देहरादून और हरिद्वार की रजिस्ट्री मुख्यतः हिंदी में उपलब्ध हैं। सहारनपुर से मंगाए गए दस्तावेज उर्दू और फारसी में हैं, जिनमें से कई में भू-माफिया द्वारा की गई अनियमितताओं के मामले सामने आए हैं। इन दस्तावेजों के स्कैनिंग कार्य में भाषा विशेषज्ञों की मदद ली जा रही है।

Advertisement 02

खास विशेषताएं:

  • वर्ष 1867 से अब तक के रजिस्ट्री रिकॉर्ड्स का डिजिटलीकरण
  • दस्तावेजों की सॉफ्ट कॉपी हिंदी और अंग्रेज़ी में अपलोड
  • आधे डिस्प्ले में बैनामा सारांश, आधे में इंडेक्स
  • मेटा डेटा आधारित खोज सुविधा
  • प्रमाणित प्रति के लिए ऑनलाइन आवेदन और ई-नकल की सुविधा

“देहरादून में भूमि दस्तावेजों की सॉफ्ट कॉपी तैयार करने का कार्य 90% से अधिक पूर्ण हो चुका है। कोई भी व्यक्ति पोर्टल के माध्यम से रजिस्ट्री देख सकता है और आवश्यक आवेदन भी कर सकता है।”
सविन बंसल, जिलाधिकारी, देहरादून

Advertisement Influencer Advertising Marketing Instagram Post
Advertisement
Advertisement

Aashish Tripathi

आशीष त्रिपाठी एक सीनियर डिजिटल कंटेंट प्रोड्यूसर हैं, जिन्होंने हेमवती नंदन बहुगुणा विश्वविद्यालय से जनसंचार एवं पत्रकारिता में स्नातक और आईएमएस यूनिसन यूनिवर्सिटी से डिजिटल मार्केटिंग एवं सोशल मीडिया स्ट्रेटेजी में स्नातकोत्तर की पढ़ाई की है। उन्होंने अपने करियर की शुरुआत न्यूज में की, जिसके बाद द मैक्स ग्रुप और इन्शॉर्ट्स, डेली सोशल जैसे प्रतिष्ठित मीडिया और कॉरपोरेट संस्थानों में काम किया। वर्तमान में, वे दून खबर के ऑनलाइन डेस्क पर कार्यरत हैं। आशीष को अंतरराष्ट्रीय संबंध, कूटनीति, राजनीति और मनोरंजन की खबरों में गहरी रुचि है, और डिजिटल पत्रकारिता में लगभग 10 वर्षों का अनुभव है।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Advertisement
Back to top button