केदारनाथ यात्रा को नई राह: 2013 की आपदा के बाद फिर खुला रामबाड़ा-गरुड़चट्टी पैदल मार्ग
"उत्तराखंड लोक निर्माण विभाग ने रामबाड़ा से गरुड़ चट्टी तक के लगभग 6 किमी लंबे मार्ग को दोबारा से पुनर्जीवित कर दिया है। ये पुराना मार्ग फिर से शुरू किए जाने के बाद केदारनाथ पैदल मार्ग की दूरी लगभग 16 किमी रह जाएगी''

रुद्रप्रयाग । केदारनाथ धाम की ऐतिहासिक यात्रा को एक बार फिर से उसकी पुरानी गरिमा मिल गई है। वर्ष 2013 में आई विनाशकारी आपदा के चलते बंद हुआ रामबाड़ा से गरुड़चट्टी तक का पारंपरिक पैदल मार्ग अब श्रद्धालुओं के लिए फिर से खोल दिया गया है। यह कार्य प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ड्रीम प्रोजेक्ट का हिस्सा है, जिसमें केदारनाथ धाम को आध्यात्मिक, ऐतिहासिक और पर्यावरणीय दृष्टि से पुनः सशक्त बनाने का प्रयास किया जा रहा है।
अब यात्रा होगी 5 किमी कम
आपदा के बाद प्रशासन द्वारा एक नया वैकल्पिक मार्ग तैयार किया गया था, जिससे यात्रा की दूरी 14 किमी से बढ़कर लगभग 21 किमी हो गई थी। लेकिन रामबाड़ा-गरुड़चट्टी मार्ग के पुनर्निर्माण के बाद यह दूरी घटकर लगभग 16 किमी रह जाएगी। इस पहल से न केवल यात्रियों का समय बचेगा, बल्कि उन्हें कम शारीरिक थकान भी होगी।
ऐतिहासिक और आध्यात्मिक महत्व
आपदा से पहले रामबाड़ा केदारनाथ यात्रा का प्रमुख विश्राम स्थल था, वहीं गरुड़चट्टी साधु-संतों का प्रिय पड़ाव माना जाता था। स्थानीय लोगों के अनुसार, यह मार्ग केवल एक रास्ता नहीं बल्कि आस्था, इतिहास और प्रकृति का संगम है। अब इसके पुनः शुरू होने से इन स्थलों की पुरानी जीवंतता लौटने लगी है।
प्राकृतिक सौंदर्य के साथ सुरक्षा का भी ध्यान
उत्तराखंड लोक निर्माण विभाग ने लगभग 6 किमी लंबे इस मार्ग को मूल स्वरूप में पुनर्जीवित किया है। मार्ग को इस प्रकार विकसित किया गया है कि उसका प्राकृतिक सौंदर्य बना रहे। हालांकि कुछ स्थानों पर भूस्खलन की आशंका अभी भी बनी हुई है, लेकिन प्रशासन ने संवेदनशील इलाकों में मजबूत सुरक्षा इंतजाम किए हैं।
यात्रियों को मिलेगा नया अनुभव
अब यह मार्ग फिर से श्रद्धालुओं और साधु-संतों की आवाजाही से गुलजार हो रहा है। प्रशासन शीघ्र ही यह निर्णय भी लेगा कि यह मार्ग एकतरफा (वन वे) रहेगा या दोनों दिशाओं के लिए खुला रहेगा।
केदारनाथ यात्रा को सुगम, सुरक्षित और ऐतिहासिक स्वरूप में पुनः स्थापित करने की दिशा में यह एक बड़ा कदम माना जा रहा है। रामबाड़ा से गरुड़चट्टी तक का रास्ता अब फिर से लोगों को न केवल मंज़िल तक पहुँचाएगा, बल्कि उन्हें आध्यात्मिक अनुभवों से भी भर देगा।