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देहरादून में UCC लागू: क्लेमेंट टाउन-सालावाला  से सुद्धोवाला-बिधोली तक Live-in Relationships के लिए Registration अनिवार्य, मकान मालिकों पर भी सख्ती

"देहरादून में UCC लागू: किरायेदारों और मकान मालिकों के लिए नए नियम अनिवार्य"

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देहरादून । उत्तराखंड सरकार ने यूनिफॉर्म सिविल कोड (UCC) लागू करने के बाद लिव-इन रिलेशनशिप के लिए पंजीकरण अनिवार्य कर दिया है। इस नए नियम के तहत, देहरादून के सभी प्रमुख शैक्षणिक और आवासीय क्षेत्रों जैसे क्लेमेंट टाउन, साला वाला, सुद्धोवाला, बिधोली, प्रेमनगर और पंडितवाड़ी में रहने वाले लिव-इन जोड़ों को अब कानूनी रूप से अपना रिश्ता पंजीकृत कराना होगा

नए नियमों के अनुसार, मकान मालिकों के लिए अपने किरायेदारों के लिव-इन प्रमाणपत्र की जांच अनिवार्य कर दी गई है। यदि कोई मकान मालिक यह जांच नहीं करता है, तो उसे ₹20,000 तक का जुर्माना भरना पड़ सकता है। इसके अलावा, मकान मालिकों को यह सुनिश्चित करना होगा कि उनके किरायेदारों के पास लिव-इन प्रमाणपत्र या विवाह प्रमाणपत्र हो, अन्यथा वे उन्हें किराए पर घर नहीं दे सकते। लिव-इन जोड़ों के लिए नए नियमों के तहत, उन्हें रिश्ते की शुरुआत के 30 दिनों के भीतर पंजीकरण कराना अनिवार्य है। देरी होने पर ₹1,000 का विलंब शुल्क देना होगा, जबकि लिव-इन समाप्त होने की स्थिति में भी ₹500 का अलग से पंजीकरण शुल्क देना होगा। यदि पंजीकरण नहीं किया जाता है, तो तीन महीने तक की जेल या ₹10,000 तक का जुर्माना हो सकता है।

लिव-इन जोड़ों को 16-पृष्ठीय फॉर्म भरना होगा, जिसमें निम्नलिखित दस्तावेज़ प्रस्तुत करने होंगे:

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  • पहले के संबंधों का प्रमाण (यदि लागू हो) – पूर्व विवाह या लिव-इन संबंध का प्रमाण पत्र।
  • धार्मिक प्रमाणपत्र (विशेष मामलों में आवश्यक) – कुछ जोड़ों को अपने धार्मिक गुरु से प्रमाणपत्र प्रस्तुत करने की आवश्यकता होगी।
  • व्यक्तिगत पहचान प्रमाणपत्र – आधार कार्ड, वोटर आईडी आदि।

देहरादून के प्रमुख शैक्षणिक संस्थानों जैसे DIT विश्वविद्यालय, UPES, ग्राफिक एरा, UIT, श्री गुरु राम राय विश्वविद्यालय, जिज्ञाशा विश्वविद्यालय और अल्पाइन कॉलेज में पढ़ने वाले छात्र इस नए नियम से चिंतित हैं। छात्रों का कहना है कि यह कानून उनकी निजता पर असर डाल सकता है और उन्हें कानूनी दायरे में बांध सकता है। कई छात्रों को यह भी डर है कि इस नियम से उनके व्यक्तिगत जीवन में अनावश्यक हस्तक्षेप होगा। कानूनी विशेषज्ञों का मानना है कि UCC के ये प्रावधान व्यक्तिगत स्वतंत्रता और निजता के अधिकारों का उल्लंघन कर सकते हैं। कुछ विशेषज्ञों का कहना है कि अंतर-धार्मिक और अंतर-जातीय जोड़ों के लिए यह नियम अधिक चुनौतीपूर्ण हो सकता है। कई वकीलों और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने सरकार से इस कानून की समीक्षा करने और अधिक स्पष्ट दिशा-निर्देश जारी करने की मांग की है

उत्तराखंड के गृह सचिव शैलेश बगौली ने कहा, “UCC का उद्देश्य नागरिकों की सुरक्षा सुनिश्चित करना है, न कि किसी की स्वतंत्रता का हनन। मकान मालिकों और किरायेदारों को नए नियमों के बारे में जागरूक किया जा रहा है।”

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उत्तराखंड में UCC लागू होने के बाद देहरादून के सभी प्रमुख इलाकों में लिव-इन जोड़ों के लिए पंजीकरण अनिवार्य हो गया हैमकान मालिकों और छात्रों को इन नए नियमों को समझना और अनुपालन करना होगा। यह कानून निजता, स्वतंत्रता और सामाजिक संरचना पर गहरा प्रभाव डाल सकता है

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