नारी शक्ति की अद्भुत मिसाल: कर्नल सोफिया क़ुरैशी और विंग कमांडर व्योमिका सिंह
“सेना और वायुसेना में नारी शक्ति का परचम, सोफिया क़ुरैशी और व्योमिका सिंह ने रचा इतिहास”

नई दिल्ली । देश की बेटियाँ आज हर मोर्चे पर आगे हैं, चाहे वो सीमा पर देश की रक्षा हो या आसमान में बुलंदियाँ छूना। हाल ही में चर्चा में आया ऑपरेशन सिंदूर, जिसमें नारी शक्ति का अद्भुत प्रदर्शन देखने को मिला। इस मिशन के दो प्रमुख चेहरे हैं — कर्नल सोफिया क़ुरैशी और विंग कमांडर व्योमिका सिंह, जिन्होंने साहस, समर्पण और नेतृत्व की मिसाल कायम की।
कर्नल सोफिया क़ुरैशी: बहुराष्ट्रीय सैन्य अभ्यास की पहली महिला लीडर
गुजरात के सैन्य परिवार से आने वाली कर्नल सोफिया क़ुरैशी भारतीय सेना की सिग्नल कोर से जुड़ी हुई हैं। उनके पति और दादा भी सेना में रहे हैं। 2016 में उन्होंने इतिहास रचते हुए ‘एक्सरसाइज़ फोर्स 18’ में भारतीय दल का नेतृत्व किया। इस बहुराष्ट्रीय अभ्यास में 18 देशों की सेनाओं ने भाग लिया था और सभी दलों में वे अकेली महिला कमांडर थीं।
कर्नल सोफिया 2006 में संयुक्त राष्ट्र शांति मिशन के तहत कांगो में सेवा दे चुकी हैं, जहाँ उन्होंने संघर्षग्रस्त क्षेत्रों में शांति स्थापित करने और मानवीय सहायता पहुँचाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उनके नाम सेना में कई पहली उपलब्धियाँ दर्ज हैं, जो आने वाली पीढ़ियों को प्रेरणा देती रहेंगी।
व्योमिका सिंह: आसमान की महारथी
‘व्योम’ यानी आकाश — और व्योमिका सिंह ने सच में अपने नाम को सार्थक कर दिखाया है। छठी कक्षा से ही भारतीय वायुसेना में जाने का सपना देखने वाली व्योमिका आज सबसे चुनौतीपूर्ण इलाकों में हेलीकॉप्टर उड़ाने वाली गिनी-चुनी महिला पायलटों में शामिल हैं। जम्मू-कश्मीर और पूर्वोत्तर के दुर्गम इलाकों में वे चेतक और चीता जैसे हेलीकॉप्टरों को अद्भुत दक्षता से उड़ाती हैं।
उनके पास 2500 घंटे की उड़ान का रिकॉर्ड है। 18 दिसंबर 2004 को उन्होंने कमीशन प्राप्त किया और 2019 में उन्हें स्थायी कमीशन मिला, जो महिला अफसरों के लिए भारतीय वायुसेना में बड़ी उपलब्धि मानी जाती है। व्योमिका ने कई बड़े बचाव अभियानों का नेतृत्व किया, जैसे 2020 में अरुणाचल प्रदेश में आई आपदा में राहत कार्य। 2021 में उन्होंने 21,650 फीट ऊँची माउंट मणिरंग चोटी फतह कर तीनों सेनाओं की ऑल-वुमन माउंटेन एक्सपीडिशन में हिस्सा लिया।
नारी शक्ति का सलाम
कर्नल सोफिया और विंग कमांडर व्योमिका जैसी अफसर हमें यह याद दिलाती हैं कि भारतीय सेना और वायुसेना में महिलाएँ अब सिर्फ सीमाओं की रक्षक नहीं, बल्कि नेतृत्व की अग्रिम पंक्ति में खड़ी हैं। ऑपरेशन सिंदूर जैसे अभियानों में उनकी भूमिका सिर्फ प्रेरणादायी नहीं, बल्कि ऐतिहासिक है।