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करन माहरा का बड़ा बयान: कांग्रेस छोड़ने वाले ईमानदार नेताओं के जाने का अफसोस

"जोत सिंह बिष्ट समेत कुमाऊं के तीन बड़े नेताओं का कांग्रेस छोड़कर बीजेपी में जाना, करन माहरा बोले- निजी स्वार्थ और भड़कावे से पार्टी छोड़ी, लेकिन ईमानदार नेताओं के जाने का अफसोस"

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देहरादून । उत्तराखंड नगर निकाय चुनावों के दौरान कांग्रेस में हुए टिकट बंटवारे के बाद पार्टी में उथल-पुथल तेज हो गई है। कई नेताओं ने पार्टी की कार्यशैली पर सवाल उठाते हुए कांग्रेस का दामन छोड़कर बीजेपी में शामिल होने का फैसला लिया। इस पर कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष करन माहरा ने अपनी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि पार्टी छोड़ने वाले कुछ ईमानदार नेताओं के जाने का उन्हें अफसोस है। करन माहरा ने कहा कि कांग्रेस ने हमेशा अपने नेताओं को सम्मान दिया है। उन्होंने बताया कि कई ऐसे नेता थे, जिन्हें बिना चुनाव लड़े राज्य मंत्री और कैबिनेट मंत्री के पद से नवाजा गया। कुछ नेताओं को दो बार चेयरमैन भी बनाया गया। इसके बावजूद अगर वे यह कहते हैं कि उन्हें सम्मान नहीं मिला, तो इसका जवाब वही दे सकते हैं।

माहरा ने आरोप लगाया कि पार्टी छोड़ने वाले कुछ नेताओं ने अपने निजी स्वार्थ के कारण कांग्रेस का साथ छोड़ा। उन्होंने कहा, “कांग्रेस ने कभी किसी के साथ अन्याय नहीं किया। इसके बावजूद कुछ नेताओं ने पार्टी के प्रति अपनी जिम्मेदारी निभाने के बजाय स्वार्थ को प्राथमिकता दी। “करन माहरा ने कहा कि कुछ नेता ऐसे भी थे, जिन्हें दूसरों ने भड़काकर पार्टी छोड़ने के लिए मजबूर किया। इन ईमानदार नेताओं के जाने का उन्हें गहरा दुख है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस ने हर नेता को उचित सम्मान दिया था।

करन माहरा ने पूर्व नेता जोत सिंह बिष्ट का उदाहरण दिया, जिन्होंने 2022 में कांग्रेस के सिंबल पर चुनाव लड़ा और हार गए। चुनाव हारने के कुछ महीनों बाद उन्होंने कांग्रेस छोड़ दी और आम आदमी पार्टी (आप) में शामिल हो गए। इसके बाद उन्होंने आप छोड़कर बीजेपी का दामन थाम लिया। माहरा ने कहा कि यह दर्शाता है कि पार्टी छोड़ने वाले नेता खुद अपने फैसलों को लेकर स्पष्ट नहीं थे। हाल ही में कुमाऊं के तीन बड़े नेता मथूरा दत्त जोशी, बिट्टू कर्नाटका, और जगत सिंह खाती ने कांग्रेस छोड़कर बीजेपी में शामिल हो गए। इन नेताओं का जाना कांग्रेस के लिए एक बड़ा झटका माना जा रहा है। करन माहरा ने कहा कि कांग्रेस ने हर नेता को भरपूर सम्मान और मौके दिए। पार्टी छोड़ने वाले नेताओं में से कुछ ने स्वार्थ के चलते और कुछ ने गुमराह होकर यह कदम उठाया। हालांकि, ईमानदार नेताओं के जाने से पार्टी को अफसोस है, लेकिन कांग्रेस अपने कार्यकर्ताओं और नेताओं के साथ मजबूती से खड़ी है।

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