जल निगम चीफ पर गिरेगी गाज, स्टिंग ऑपरेशन में दोषी करार
"उत्तराखंड में भ्रष्टाचार के माध्यम से 100 करोड़ रुपये से अधिक की अवैध संपत्ति अर्जित करने के आरोपों से घिरे पेयजल निगम कुमाऊं के मुख्य अभियंता सुजीत कुमार विकास के खिलाफ शीघ्र ही सख्त कार्रवाई की तैयारी की जा रही है।"

देहरादून / नैनिताल। काम के बदले पैसे लेने के आरोप में चर्चित जल निगम स्टिंग प्रकरण की जांच पूरी हो गई है। जांच रिपोर्ट में जल निगम कुमाऊं के मुख्य अभियंता सुजीत कुमार विकास को दोषी पाया गया है। यह जांच रिपोर्ट अपर सचिव पेयजल अपूर्वा पांडेय द्वारा तैयार की गई है, जिसे सचिव पेयजल शैलेश बगौली के आदेश पर शुरू किया गया था।
जांच पूरी होने के बाद अब शासन ने चीफ इंजीनियर को कारण बताओ नोटिस जारी कर दिया है और जांच रिपोर्ट के निष्कर्षों पर उनका पक्ष मांगा गया है।
गौरतलब है कि कुछ वर्ष पूर्व एक स्टिंग वीडियो सामने आया था, जिसमें जल निगम में नौकरी दिलाने के बदले पैसों की मांग का आरोप लगा था। इस मामले ने विभाग में हलचल मचा दी थी और कुछ अधिकारियों की भूमिका पर सवाल उठे थे। हालांकि वर्षों तक यह मामला फाइलों में उलझा रहा। कुछ महीने पहले शासन ने मामले को गंभीरता से लेते हुए जांच के आदेश दिए थे।
मुख्य अभियंता सुजीत कुमार विकास ने अपनी सफाई में कहा है कि, “जांच अधिकारी को पहले अज्ञात विभागीय व्यक्ति की पहचान करनी चाहिए थी। बिना ठोस आधार के मुझे दोषी ठहराना गलत है। मैं इस पूरे मामले को कोर्ट में चुनौती दूंगा।”
शास्त्रीनगर टेंडर में भी गड़बड़ी
इस बीच देहरादून के शास्त्रीनगर क्षेत्र में 24 घंटे पेयजल आपूर्ति के टेंडर को लेकर भी शासन सतर्क हो गया है। जांच में सामने आया है कि जिस कंपनी को यह कार्य सौंपा गया, उसके अनुभव प्रमाण पत्र संदिग्ध पाए गए हैं। इस मामले में भी जल्द कार्रवाई की तैयारी की जा रही है।
सचिव शैलेश बगौली ने स्पष्ट किया है कि, “स्टिंग प्रकरण में जांच पूरी हो चुकी है। दोषी पाए गए अधिकारी को नोटिस देकर जवाब मांगा गया है। नियमों के अनुसार आगे की कार्रवाई की जाएगी।”