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Makar Sankranti 2025: मकर संक्रांति आज जानें उत्तरायण का महत्व

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मकर संक्रांति 14 जनवरी 2025 को मनाई जा रही है। यह भारत का एक प्रमुख त्योहार है, जो सूर्य के मकर राशि (मकर) में प्रवेश करने के अवसर पर मनाया जाता है। मकर संक्रांति के दिन सूर्य का उत्तरायण (उत्तर दिशा में गति) शुरू होता है, जो शीतकाल के अंत और लंबी दिनचर्या की शुरुआत का प्रतीक होता है। इसे आध्यात्मिक दृष्टि से बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है।

उत्तरायण का महत्व:

  • आध्यात्मिक महत्व: उत्तरायण वह समय होता है जब सूर्य उत्तर की ओर यात्रा करना शुरू करता है, जिससे दिन लंबे और रातें छोटी हो जाती हैं। इसे शुभ और शुद्धि का समय माना जाता है, जब सूर्य की किरणें आत्मा को पवित्र करती हैं।
  • स्नान और पूजा: इस दिन लोग पवित्र नदियों में स्नान करते हैं, खासकर गंगा में, और पूजा अर्चना करते हैं। यह शरीर और आत्मा की शुद्धि का समय माना जाता है।
  • सर्दियों का अंत: मकर संक्रांति सर्दी के मौसम का अंत और फसल के मौसम की शुरुआत का प्रतीक होती है। यह अच्छे फसलों के लिए धन्यवाद देने का समय होता है।

मकर संक्रांति के उत्सव:

  • पतंगबाजी: गुजरात, राजस्थान और कुछ अन्य राज्यों में मकर संक्रांति के दिन पतंगबाजी का आयोजन होता है। आसमान रंग-बिरंगी पतंगों से भरा रहता है, और लोग एक-दूसरे की पतंगों को काटने की प्रतिस्पर्धा करते हैं।
  • सांझी (मकर संक्रांति की आग): कई स्थानों पर संक्रांति के दिन लकड़ियाँ जलाकर अग्नि पूजा की जाती है, जो सूर्य के उत्तरायण में प्रवेश का प्रतीक है। यह आग गर्मी और सुख की ओर बढ़ने का संकेत मानी जाती है।
  • खाने-पीने की चीजें: तिल और गुड़ से बनी मिठाइयाँ, जैसे तिलगुल, बहुत प्रसिद्ध होती हैं। ये मिठाइयाँ स्वास्थ्य के लिए लाभकारी होती हैं और सर्दियों में शरीर को गर्मी देती हैं।

अनुष्ठान और रिवाज:

  • गंगा स्नान: बहुत से लोग गंगा या अन्य पवित्र नदियों में स्नान करते हैं, इसे गंगा स्नान कहते हैं, जिससे पापों से मुक्ति और पुण्य की प्राप्ति होती है।
  • पूजा: सूर्य देव की पूजा की जाती है, उन्हें अच्छे फसलों के लिए धन्यवाद दिया जाता है और आगामी वर्ष में समृद्धि की कामना की जाती है।

क्षेत्रीय उत्सव:

  • पंजाब: इसे लोहड़ी कहते हैं, जिसमें आग जलाकर नाच-गाने और पारंपरिक गीतों का आयोजन होता है।
  • महाराष्ट्र: लोग तिल और गुड़ से बनी मिठाइयाँ एक-दूसरे को देते हैं और “तिलगुल घ्या, गोद गोद बोला” (तिलगुल लो, मीठा बोलो) कहते हैं।
  • तमिलनाडु: इसे पोंगल कहा जाता है, जो एक बहु-दिवसीय त्योहार होता है, जिसमें नये अनाज से पकवान बनाए जाते हैं।
  • कर्नाटका और आंध्र प्रदेश: इसे सुग्गी कहते हैं, जिसमें परिवार के साथ मिलकर समारोह मनाए जाते हैं।

मकर संक्रांति न केवल सूर्य की उत्तरायण यात्रा का प्रतीक है, बल्कि यह नए आरंभ, सकारात्मकता और सामाजिक एकता का भी पर्व है।

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