नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लोकसभा में कांग्रेस पर तीखा हमला किया और संविधान संशोधन से जुड़े विषयों पर चर्चा की। पीएम मोदी ने कहा कि कांग्रेस ने बार-बार संविधान को अपनी सुविधा के अनुसार संशोधित किया है और उसे अपनी सत्ता बनाए रखने का साधन बनाया। उन्होंने इसे “संविधान संशोधन का स्वाद चखने” के रूप में व्याख्यायित किया।
पीएम मोदी ने 1951 में पहले संविधान संशोधन का उल्लेख करते हुए कहा कि यह लोकतंत्र को कमजोर करने की दिशा में पहला कदम था। उन्होंने कांग्रेस पर आरोप लगाया कि आपातकाल (1975) जैसे फैसलों के जरिए संविधान और लोकतांत्रिक मूल्यों को ठेस पहुंचाई गई। उन्होंने कहा कि कांग्रेस ने सत्ता के लिए संविधान का दुरुपयोग किया और इसकी आत्मा को चोट पहुंचाई।
प्रधानमंत्री ने विपक्ष पर निशाना साधते हुए कहा कि उनके पास संविधान की भावना को समझने और उसे लागू करने का नैतिक अधिकार नहीं है, क्योंकि उन्होंने इसे बार-बार तोड़ा है। उन्होंने कहा कि देश के लोग कांग्रेस की इन हरकतों को समझ चुके हैं और अब लोकतांत्रिक व्यवस्था में कोई समझौता नहीं करेंगे।
प्रधानमंत्री के इस बयान से संसद में जोरदार बहस छिड़ गई। कांग्रेस और विपक्षी दलों ने प्रधानमंत्री के आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि यह बयान सच्चाई से परे है और केवल राजनीतिक लाभ के लिए दिया गया है।