- पटना में बीपीएससी परीक्षा में कथित धांधली और पेपर लीक के विरोध में अभ्यर्थियों ने उग्र प्रदर्शन किया। पुलिस ने प्रदर्शनकारियों पर लाठीचार्ज किया, जिससे कई लोग घायल हो गए। प्रशांत किशोर ने इस घटना की निंदा करते हुए नीतीश सरकार पर निशाना साधा और दोषियों पर कार्रवाई की मांग की। अभ्यर्थी परीक्षा को रद्द कर पुनः आयोजन की मांग कर रहे हैं। विपक्षी दलों ने भी इस मुद्दे पर सरकार को घेरा है। घटना ने बिहार में सरकारी भर्तियों की पारदर्शिता पर सवाल खड़े कर दिए हैं।
पटना । बिहार लोक सेवा आयोग (बीपीएससी) की 70वीं संयुक्त प्रतियोगी परीक्षा में कथित अनियमितताओं और पेपर लीक के विरोध में पटना में अभ्यर्थियों का प्रदर्शन उग्र हो गया। 25 दिसंबर 2024 को बड़ी संख्या में अभ्यर्थी बीपीएससी कार्यालय का घेराव करने पहुंचे, जहां पुलिस ने उन्हें रोकने का प्रयास किया। प्रदर्शनकारियों के न मानने पर पुलिस ने लाठीचार्ज किया, जिसमें कई अभ्यर्थी घायल हो गए। इस घटना के बाद राजनीतिक गलियारों में हलचल मच गई। जन सुराज पार्टी के संस्थापक प्रशांत किशोर ने अभ्यर्थियों पर हुए लाठीचार्ज की कड़ी निंदा की और इसे लोकतंत्र के लिए दुखद बताया। उन्होंने कहा कि नीतीश कुमार की सरकार में यह प्रवृत्ति बन गई है कि जब भी कोई अपनी बात रखने आता है, तो सरकार लाठीचार्ज को आसान जरिया मानती है। उन्होंने दोषी अधिकारियों पर कार्रवाई की मांग की।
अभ्यर्थी परीक्षा में हुई कथित धांधली और पेपर लीक के आरोपों के चलते पूरी परीक्षा को रद्द करने और पुनः परीक्षा आयोजित करने की मांग कर रहे हैं। उनका कहना है कि परीक्षा में पारदर्शिता और निष्पक्षता सुनिश्चित की जानी चाहिए। इस बीच, बीपीएससी ने पटना के बापू परीक्षा केंद्र की परीक्षा को रद्द कर 4 जनवरी को पुनः आयोजित करने की घोषणा की है, लेकिन अभ्यर्थी सभी केंद्रों पर पुनः परीक्षा की मांग पर अड़े हैं।
विपक्षी दलों ने भी अभ्यर्थियों के समर्थन में आवाज उठाई है। नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने धरना स्थल पर पहुंचकर अभ्यर्थियों का समर्थन किया, जबकि पूर्णिया सांसद पप्पू यादव ने 1 जनवरी को बिहार बंद की चेतावनी दी है। उन्होंने बीपीएससी पर युवाओं के भविष्य के साथ खिलवाड़ करने का आरोप लगाया।
इस घटनाक्रम ने बिहार में सरकारी भर्तियों की प्रक्रिया और पारदर्शिता पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। अभ्यर्थियों का आंदोलन जारी है, और वे अपनी मांगों के पूरा होने तक संघर्ष करने का संकल्प ले चुके हैं। सरकार और बीपीएससी की ओर से अभी तक कोई ठोस समाधान प्रस्तुत नहीं किया गया है, जिससे स्थिति और जटिल होती जा रही है।