Rishikesh-Karnpyarag Rail: अंतिम स्टेशन की टनल हुई आरपार, नरकोटा-सुमेरपुर के साथ गौचर-सिवाई भी तैयार

देहरादून । ऋषिकेश-कार्णप्रयाग रेल परियोजना उत्तराखंड सरकार की महत्वाकांक्षी योजना है, जिसका उद्देश्य राज्य के दूरदराज़ क्षेत्रों को बेहतर रेल संपर्क प्रदान करना है। इस परियोजना के तहत, लगभग 125 किलोमीटर लंबी रेल लाइन का निर्माण किया जा रहा है, जो ऋषिकेश से कार्णप्रयाग तक फैली हुई है।
मुख्य विशेषताएं:
- सुरंग निर्माण: रेल मार्ग में कुल 12 सुरंगों का निर्माण किया जा रहा है, जिनमें से प्रमुख सुरंगें ऋषिकेश और कार्णप्रयाग के बीच स्थित हैं।
- पुलों का निर्माण: इस परियोजना में 85 पुलों का निर्माण भी शामिल है, जो रेल मार्ग की मजबूती और सुरक्षा सुनिश्चित करेंगे।
- स्टेशनों का विकास: नरकोटा, सुमेरपुर, गौचर और सिवाई जैसे प्रमुख स्टेशनों का आधुनिकीकरण किया जा रहा है, जिससे यात्री सुविधाओं में वृद्धि होगी।
परियोजना की प्रगति:
अब तक, परियोजना का लगभग 80% कार्य पूर्ण हो चुका है। विशेष रूप से, नरकोटा-सुमेरपुर और गौचर-सिवाई सेक्शनों का निर्माण अंतिम चरण में है, जिससे क्षेत्रीय कनेक्टिविटी में सुधार होगा।
आर्थिक और सामाजिक प्रभाव:
इस रेल परियोजना से राज्य की अर्थव्यवस्था को बढ़ावा मिलेगा, क्योंकि यह पर्यटन और व्यापार को सरल बनाएगा। साथ ही, स्थानीय रोजगार के अवसर भी सृजित होंगे, जिससे स्थानीय निवासियों की आर्थिक स्थिति में सुधार होगा।
आगे की योजना:
परियोजना के शेष कार्य तेजी से पूर्ण करने के लिए अतिरिक्त संसाधन और श्रमबल किए गए हैं। निर्धारित समयसीमा के भीतर परियोजना को पूरा करने के लिए निरंतर निगरानी और मूल्यांकन किया जा रहा है।
ऋषिकेश-कार्णप्रयाग रेल परियोजना उत्तराखंड के समग्र विकास में एक मील का पत्थर साबित होगी, जो राज्य के इंफ्रास्ट्रक्चर और कनेक्टिविटी को नई ऊंचाइयों तक ले जाएगी।