श्रीराम जन्मभूमि मंदिर: दर्शन और पहली वर्षगांठ से जुड़ी सभी महत्वपूर्ण जानकारी
राजीव पाण्डे / अयोध्या । अयोध्या के श्रीराम जन्मभूमि मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा की पहली वर्षगांठ 11 जनवरी 2025 को भव्य रूप से मनाई जा रही है। यह दिन ऐतिहासिक है क्योंकि ठीक एक वर्ष पहले 2024 में, प्रभु श्रीराम लल्ला की मूर्ति को गर्भगृह में स्थापित किया गया था। इस मौके पर लाखों श्रद्धालु अयोध्या पहुंच रहे हैं।
दर्शन का समय और प्रक्रिया:
श्रीराम जन्मभूमि मंदिर में दर्शन का समय सुबह 6:30 बजे से रात 9:30 बजे तक है। मंदिर में प्रवेश से लेकर दर्शन और बाहर निकलने तक की प्रक्रिया बेहद सरल है।
आमतौर पर श्रद्धालु 60 से 75 मिनट में प्रभु श्रीराम लल्ला सरकार के दर्शन कर सकते हैं।
मंगला आरती सुबह 4:00 बजे, श्रृंगार आरती सुबह 6:15 बजे और शयन आरती रात 10:00 बजे होती है। मंगला, श्रृंगार और शयन आरती के लिए प्रवेश पास अनिवार्य है।
आप सभी से अनुरोध है कि दर्शन के दौरान नियमों का पालन करें और इस ऐतिहासिक स्थल पर अपने अनुभव को यादगार बनाएं।
आरती के लिए पास:
श्रद्धालुओं को मंगला, श्रृंगार और शयन आरती में प्रवेश के लिए ट्रस्ट की वेबसाइट से निःशुल्क पास प्राप्त करना होगा।
पास के लिए नाम, आयु, आधार कार्ड, मोबाइल नंबर और शहर की जानकारी आवश्यक है।
महत्वपूर्ण दिशा-निर्देश:
- श्रद्धालुओं को सलाह दी जाती है कि वे मोबाइल फोन, जूते-चप्पल, पर्स आदि मंदिर परिसर के बाहर जमा कराएं।
- मंदिर में फूल, माला और प्रसाद लाने की अनुमति नहीं है।
- विशेष दर्शन के लिए किसी शुल्क या पास की कोई व्यवस्था नहीं है। यदि कोई शुल्क लेकर दर्शन कराने का दावा करता है, तो वह धोखाधड़ी हो सकती है।
सुविधाएं:
•मंदिर परिसर में वृद्ध और दिव्यांग व्यक्तियों के लिए व्हीलचेयर की व्यवस्था है।
•यह सुविधा निःशुल्क है, लेकिन सहायता करने वाले स्वयंसेवक को एक मामूली शुल्क दिया जा सकता है।
•प्रथम वर्षगांठ के अवसर पर विशेष आयोजन:
•मंदिर परिसर और अयोध्या नगर को रोशनी और फूलों से सजाया गया है।
•विशेष पूजा, हवन, और भव्य रामधुन का आयोजन किया जा रहा है।
यह दिन धार्मिक और सांस्कृतिक दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण है, जो अयोध्या को वैश्विक मंच पर स्थापित करता है।
ट्रस्ट का संदेश:
श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट श्रद्धालुओं की सुविधा और सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए समर्पित है। दर्शन की प्रक्रिया को सरल और सुव्यवस्थित रखने के लिए यह दिशा-निर्देश जारी किए गए हैं।