Uttarakhand: वनाग्नि मार्च खत्म होने को आया, अग्निरोधी सूट अब तक नहीं पहुंचे, प्रस्ताव पर फैसला बाकी

देहरादून । उत्तराखंड में वनाग्नि की घटनाएं लगातार बढ़ रही हैं, जिससे वन विभाग के फायर वॉचरों और कर्मचारियों की सुरक्षा एक गंभीर चिंता का विषय बन गई है। इन चुनौतियों से निपटने के लिए, तराई पूर्वी वन प्रभाग ने पहली बार फायर सूट, स्मोक गॉगल्स, मास्क और हेलमेट जैसी सुरक्षा उपकरणों को अपने फ्रंटलाइन स्टाफ को उपलब्ध कराया है। इन फायर सूटों का सफल परीक्षण भी किया गया है, जिससे कर्मचारियों को आग बुझाने के दौरान बेहतर सुरक्षा मिल सके।
वन विभाग ने फायर सूटों के अलावा, जंगलों की आग से निपटने के लिए 20-20 लीटर क्षमता वाले वाटर कैंपर भी खरीदने का निर्णय लिया है। ये कैंपर उन क्षेत्रों में उपयोगी होंगे जहां वाहनों की पहुंच नहीं है, जिससे आग बुझाने में तेजी और प्रभावशीलता बढ़ेगी। इसके साथ ही, 2,144 फायर वॉचरों का 10-10 लाख रुपये का बीमा भी किया जा रहा है, ताकि किसी भी अनहोनी की स्थिति में उनके परिवारों को आर्थिक सहायता मिल सके।
हालांकि, राज्य के अन्य वन प्रभागों में अभी तक फायर सूट और अन्य सुरक्षा उपकरणों की आपूर्ति नहीं हो पाई है। मार्च का महीना समाप्त होने को है, लेकिन इन आवश्यक उपकरणों की कमी के कारण वनाग्नि से निपटने में कठिनाइयां बढ़ सकती हैं। वन विभाग के अधिकारियों का कहना है कि इन उपकरणों की खरीद और वितरण के प्रस्तावों पर अभी निर्णय लिया जाना बाकी है, जिससे कर्मचारियों की सुरक्षा पर सवाल उठ रहे हैं।
वनाग्नि की घटनाओं के बढ़ते खतरे को देखते हुए, यह आवश्यक है कि सभी वन प्रभागों में सुरक्षा उपकरणों की उपलब्धता सुनिश्चित की जाए। इसके अलावा, स्थानीय समुदायों की भागीदारी, जागरूकता कार्यक्रमों और आधुनिक तकनीकों के उपयोग से वनाग्नि की घटनाओं को कम किया जा सकता है। जलवायु परिवर्तन और बढ़ते तापमान के कारण वनाग्नि की संभावना बढ़ रही है, जिससे निपटने के लिए समग्र और प्रभावी रणनीतियों की आवश्यकता है।