DEHRADUN
Uttarakhand: छात्रों की संख्या में गिरावट, 23 माध्यमिक विद्यालय बंद, 3000 स्कूलों पर भी लग सकता है ताला

देहरादून । उत्तराखंड में सरकारी स्कूलों की घटती छात्रसंख्या और बढ़ते बंदी के मामलों ने राज्य की शिक्षा व्यवस्था के सामने गंभीर चुनौतियां प्रस्तुत की हैं। हाल के वर्षों में, सरकारी स्कूलों की संख्या में निरंतर कमी देखी गई है, जबकि निजी स्कूलों की संख्या में वृद्धि हुई है।
सरकारी स्कूलों की बंदी की स्थिति:
- अल्मोड़ा जिला: राज्य गठन के बाद से अब तक 244 सरकारी स्कूल बंद हो चुके हैं। इस वर्ष अकेले 37 स्कूल बंद किए गए हैं, जिनमें से 335 स्कूलों में छात्रसंख्या 10 से भी कम है।
- पौड़ी जिला: यहां 14 सरकारी स्कूल बंद हो गए हैं, जिससे प्राइमरी स्कूलों की संख्या घटकर 1,397 रह गई है। इन स्कूलों के 18 शिक्षकों को अन्य स्कूलों में समायोजित किया जा रहा है।
- पिथौरागढ़ जिला: यहां शून्य छात्र संख्या के कारण 30 स्कूल बंद हो चुके हैं, जिनमें 27 प्राथमिक और 3 उच्च प्राथमिक स्कूल शामिल हैं।
- पौड़ी जिले में विशेष स्थिति: पौड़ी जिले में 315 स्कूल बंद हो गए हैं, जो राज्य के अन्य जिलों की तुलना में सबसे अधिक है।
समस्या के कारण:
- छात्रसंख्या में गिरावट: अभिभावक अपने बच्चों को बेहतर शिक्षा के लिए निजी स्कूलों में भेज रहे हैं, जिससे सरकारी स्कूलों में छात्रों की संख्या घट रही है।
- शिक्षकों की कमी: कुछ क्षेत्रों में शिक्षकों की कमी के कारण भी छात्र सरकारी स्कूलों से दूर जा रहे हैं।
संभावित समाधान:
- शैक्षणिक गुणवत्ता में सुधार: सरकारी स्कूलों में आधुनिक शिक्षण विधियों और सुविधाओं का समावेश करके उनकी गुणवत्ता में वृद्धि की जा सकती है।
- अभिभावकों को आकर्षित करना: प्रवेश उत्सव और आदर्श स्कूलों के माध्यम से अभिभावकों को सरकारी स्कूलों की ओर आकर्षित किया जा सकता है।
- शिक्षकों की नियुक्ति: शिक्षकों की उचित संख्या सुनिश्चित करके और उनकी प्रशिक्षण व्यवस्था में सुधार करके शिक्षा की गुणवत्ता बढ़ाई जा सकती है।
इन उपायों के माध्यम से उत्तराखंड में सरकारी स्कूलों की स्थिति में सुधार लाया जा सकता है, जिससे छात्रों की संख्या में वृद्धि और शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार संभव होगा।