UTTARAKHAND NIKAY CHUNAV
Nikay Chunav: इस बार भी निर्दलीय बिगाड़ सकते हैं भाजपा-कांग्रेस का खेल दिलचस्प होगा मुकाबला
देहरादून। उत्तराखंड के नगर निकाय चुनावों में इस बार निर्दलीय उम्मीदवारों की भूमिका अहम हो सकती है, जिससे भाजपा और कांग्रेस दोनों के लिए मुश्किलें खड़ी हो सकती हैं। राज्य में चुनावी माहौल गरमाया हुआ है, और दोनों प्रमुख पार्टियों को अपने पारंपरिक वोटबैंक को बचाने के लिए कड़ी मेहनत करनी पड़ रही है।
- भा.ज.पा. की चुनौती: भाजपा ने हाल ही में पार्टी विरोधी गतिविधियों के चलते 139 नेताओं को निष्कासित किया है, जो अब निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में चुनाव मैदान में उतरने का इरादा रखते हैं। यह घटनाक्रम पार्टी के लिए एक बड़ा झटका हो सकता है, क्योंकि इन नेताओं की राजनीतिक पकड़ और स्थानीय स्तर पर प्रभाव था। भाजपा को अब इन असंतुष्ट नेताओं से मुकाबला करना होगा, जो पार्टी की संभावनाओं को प्रभावित कर सकते हैं।
- कांग्रेस में असंतोष: कांग्रेस में भी स्थिति कुछ हद तक समान है। पार्टी के वरिष्ठ नेताओं में टिकट वितरण को लेकर असंतोष देखा जा रहा है। खासतौर पर, कांग्रेस के उपाध्यक्ष मथुरा दत्त जोशी ने अपनी पत्नी को मेयर का टिकट न मिलने पर नाराजगी जताई है और अब उन्होंने पार्टी के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। जोशी जैसे प्रमुख नेता निर्दलीय चुनाव लड़ने का विचार कर रहे हैं, जो कांग्रेस की स्थिति को और कमजोर कर सकता है।
- निर्दलीयों का प्रभाव: दोनों प्रमुख दलों के असंतुष्ट नेता निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में चुनावी मैदान में उतरने के लिए तैयार हैं। ऐसे उम्मीदवार न केवल पारंपरिक पार्टी उम्मीदवारों को टक्कर दे सकते हैं, बल्कि उनके चुनावी प्रदर्शन से भाजपा और कांग्रेस के गठबंधन और संभावनाओं पर भी असर पड़ सकता है।
इन सभी घटनाओं को देखते हुए यह कहा जा सकता है कि आगामी नगर निकाय चुनाव में निर्दलीय उम्मीदवारों की भूमिका बहुत महत्वपूर्ण होगी और यह मुकाबला और भी दिलचस्प हो सकता है।