उत्तराखंड: UTU सॉफ्टवेयर घोटाले की जांच पर संकट, IAS अधिकारी नितिका खंडेलवाल का ट्रांसफर बना रुकावट
"UTU में करोड़ों का सॉफ्टवेयर घोटाला, जांच शुरू होते ही IAS नितिका खंडेलवाल का ट्रांसफर, उठे बड़े सवाल"

देहरादून । वीर माधो सिंह भंडारी उत्तराखंड तकनीकी विश्वविद्यालय (UTU) में करोड़ों रुपये के सॉफ्टवेयर घोटाले की जांच पर अब सवाल उठ रहे हैं। ERP सॉफ्टवेयर और यूनिवर्सिटी मैनेजमेंट सिस्टम (UMS) के विकास के नाम पर हुए इस घोटाले की जांच के लिए बनाई गई कमेटी की अगुवाई कर रहीं IAS अधिकारी नितिका खंडेलवाल का अचानक ट्रांसफर कर दिया गया है। इस फैसले से UTU सॉफ्टवेयर घोटाले की जांच प्रक्रिया पर सीधा असर पड़ा है।
करोड़ों रुपये के ERP घोटाले की जांच के लिए बनी थी कमेटी
तकनीकी शिक्षा सचिव की प्राथमिक जांच में सामने आया था कि उत्तराखंड तकनीकी विश्वविद्यालय ने लखनऊ की एक कंपनी से ERP और UMS सॉफ्टवेयर डेवेलपमेंट के लिए करीब दो करोड़ रुपये खर्च किए। जांच में पाया गया कि यह राशि घोटाले की भेंट चढ़ी है। शासन ने मामले की गंभीरता को देखते हुए 5 मई 2025 को एक पांच सदस्यीय जांच समिति का गठन किया था, जिसे 15 दिनों में रिपोर्ट सौंपनी थी।
IAS नितिका खंडेलवाल के ट्रांसफर से जांच प्रभावित
जांच की जिम्मेदारी निदेशक ITDA IAS नितिका खंडेलवाल को सौंपी गई थी। लेकिन सिर्फ 9 दिन बाद, यानी 14 मई को उनका ट्रांसफर कर दिया गया। इससे न सिर्फ जांच प्रक्रिया बाधित हुई, बल्कि अभी तक कोई अगली बैठक भी आयोजित नहीं की गई है। कमेटी में ITDA के वित्त अधिकारी, राज्य सूचना विज्ञान अधिकारी (SIC), IIT रुड़की के प्रोफेसर सहित तकनीकी विशेषज्ञों को शामिल किया गया था।
IAS गौरव कुमार को सौंपी गई नई जिम्मेदारी
अब यह जिम्मेदारी IAS गौरव कुमार को दी गई है, लेकिन उन्हें पूरे मामले की जानकारी जुटाने और प्रक्रिया को फिर से शुरू करने में समय लगेगा। इससे साफ है कि ERP घोटाले की जांच प्रक्रिया में देरी तय है।
कंपनी पर घोटाले को दबाने का आरोप
शुरुआती जांच में ये भी सामने आया है कि संबंधित कंपनी इस सॉफ्टवेयर घोटाले को दबाने की कोशिश कर रही है। ऐसे में उत्तराखंड तकनीकी विश्वविद्यालय में हुए करोड़ों के घोटाले की निष्पक्ष जांच के लिए प्रशासनिक पारदर्शिता और स्थायित्व बेहद ज़रूरी है।